पाक प्रधान मंत्री आसिफ़ अली ज़रदारी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने खलील चिश्ती का मामला उठाया था.

सुप्रीम कोर्ट ने खलील चिश्ती को शर्तों के साथ ज़मानत दी थी. निचली अदालत ने अजमेर में 1992 में हुई एक हत्या के सिलसिले में 31 जनवरी 2011 को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी.

अजमेर के संपन्न खादिमों के परिवार में जन्मे चिश्ती आज़ादी के समय पाकिस्तान में पढ़ रहे थे और उन्होंने वहीं रहकर पाकिस्तानी नागरिक बनना पसंद किया.

अजमेर में 1992 में वह अपनी बीमार मां को देखने आए थे, तभी उनका किसी से विवाद हो गया और उसी विवाद के चलते उनके एक पड़ोसी की गोली मारकर हत्या कर दी गई.

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