काफी प्रसिद्ध है यह मंदिर
उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी में काफी मंदिर हैं। सभी मंदिरों की अलग-अलग खासियत है। ऐसा ही एक भगवान राम का मंदिर है, जिसे तुलसी मानस मंदिर के नाम से जाना जाता है। बनारस के प्रसिद्ध दुर्गाकुंड मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित मानस मंदिर की सुंदरता बरबस ही श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच लाती है। काशी के अन्य मंदिरों में जहां भीड़-भाड़ रहती है, वहीं इसके उलट तुलसी मानस मंदिर में शांत माहौल मिलता है। मंदिर के प्रांगण में धीमी-धीमी आवाज में स्वचालित श्री राम एंव कृष्ण लीला होती है।
पत्थरों पर लिखी है रामचरितमानस
यह मंदिर मुख्यत: भगवान श्रीराम का है। मंदिर में घुसते ही सामने की तरफ आपको श्रीराम, माता जानकी, लक्ष्मण जी और हनुमान जी की मूर्ति मिलेगी। इनके एक ओर माता अन्नपूर्णा एंव शिवजी तथा दूसरी ओर भगवान विष्णु जी का मंदिर है। यह मंदिर पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बना है। यहां दीवारों में रामचरितमानस की चौपाई लिखी हैं। दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं। मंदिर में सुबह-शाम काफी भीड़ रहती है। वहीं सावन महीने में तो यहां श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है।
क्यों कहा जाता है तुलसी मानस मंदिर
इस मंदिर की दूसरी मंजिल में तुलसीदास जी की प्रतिमा लगी है। कहा जाता है कि यही वो स्थान है, जहां तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की थी। इसीलिए मंदिर का नाम तुलसी मानस पड़ गया।
राष्ट्रपति ने किया था उद्घाटन
इस मंदिर का निर्माण 1964 में कलकत्ता के एक व्यापारी ने कराया था। पहले यहां छोटा मंदिर हुआ करता था। व्यापारी ने इसे बड़ा बनवाया। मंदिर का उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा किया गया था। मंदिर के आस-पास सुन्दर उद्यान है जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाता है।
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