सड़क पर बैठे लिंडन ओवेन और खोसे मानुएल कालवो जब भीख मांगते हैं तो किसी प्रोफेशनल भिखारी की तरह ही दिखते हैं. वे अपने सामने चार डिब्बे रखते हैं और जिन पर लिखा रहता है "फार बिअर", "फार वाइन", "फार व्हिस्की " और "फार कैट".
जब लोग इनसे पूंछते हैं कि बियर पीने के लिये भीख क्यूं दें तो वे जवाब देते हैं, “कम से कम हम आनेस्ट तो हैं, और आपकी मुस्कान की वैल्यू क्या एक यूरो भी नहीं है?" लोगों को उनका आइडिया पसन्द भी आ जाता है और डिब्बे में पैसे खनकते हैं.
खोसे थैन्क्यू बोलते हुये यह याद दिलाना नहीं भूलते कि उनकी वेबसाइट भी है. www.lazybeggars.com और तो और पेपाल के जरिये भी उन्हे भीख दी जा सकती है.
वेबसाइट में है बेगर की गलत स्पेलिंग
जब ओवेन से पूंछा गया कि उनकी वेबसाइट के डोमेन में बेगर की स्पेलिंग गलत क्यों है तो वह बताते हैं कि जिस दोस्त ने वेबसाइट बनाई, वह बहुत पिया हुआ था.
ऐसे हुई शुरूआत
अगर कह जाय कि ये दोनों सिर्फ अपनी वेबसाइट की वजह से ही दूसरे बेघर भिखारियों से अलग हैं तो ऐसा नहीं है. लिंडन और खोसे ने अपनी मर्जी से सड़क पर जिंदगी गुजारने का फैसला लिया.
लिंडन एक कंप्यूटर स्पेशलिस्ट थे. वे बताते हैं कि वेल्स में उनकी अच्छी खासी नौकरी थी, परिवार था मगर नौकरी का प्रेशर उनसे सहा नहीं जा रहा था. बस एक दिन उन्होने अपने बैग में सामान भरा, फ्लैट का दरवाजा बंद किया और बस निकल पड़े अपने घर से. घूमते फिरते वे फ्रांस होते हुए दक्षिण स्पेन पहुंचे. स्पेन ही क्यूं पूछे जाने पर वे हंसते हुए कहते है “क्योंकि वहां का मौसम बेहतरीन था”.
ग्रानाडा में उनकी मुलाकात 55 साल के खोसे मानुएल कालवो से हुई. कालवो टेनेरिफा में एक कंपनी में सोलर एनर्जी के स्पेशलिस्ट थे. वे खाली समय में कविता लिखते थे. कालवो कहते हैं कि वह खुश नहीं थे, “एक दिन मैं बीवी बच्चों को छोड़कर निकल पडा और स्पेन के एक शहर से दूसरे शहर तक पैदल घूमते रहा”.
बेघर नहीं घुमक्कड़ कहिये जनाब
खोसे और लिंडन का याराना अब काफी पुराना हो गया है. वे आठ साल से साथ में हैं. वे अपने आपको बेघर की बजाय घुमक्कड़ कहलाना ज्यादा पसन्द करते हैं. वे मानते हैं कि सड़क की जिंदगी आसान नहीं होती. खास कर जाड़ों के दौरान. लिंडन का कहते हैं "लेकिन घरों में कायदे की जिंदगी बिताने वालों के मुकाबले हम कहीं ज्यादा खुश हैं".
क्या है "फार व्हिस्की" और "फार कैट"
"फार व्हिस्की" और "फार कैट" का मतलब है कि उनके पास दो कुत्ते हैं, जिनके नाम व्हिस्की और बिल्ली हैं. वे उनके लिये खाने का बन्दोबस्त करते हैं. उनके पास दो और डिब्बे भी हैं, जिन पर लिखा है "फार गांजा" और "फार अदर सिन्स". लेकिन इन्हें वे सिर्फ रात में बच्चों के सो जाने के बाद ही बाहर निकालते हैं.
आलसी नहीं दिलखुश हैं हम
दोनों मानते हैं कि वे आलसी नहीं है. उन्हे लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाना ही दुनिया का सबसे बेहतरीन काम लगता है. सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक वे यही करते हैं
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