कई लोगों को हिरासत में लिया गया और बाद में छोड़ा गया था लेकिन उनमें से 1600 लोगों को जेल की सज़ा मिली थी.
अब माना जाता है कि उस वक़्त गिरफ़्तार लोगों में से एक व्यक्ति अब भी सलाखों के पीछे है. उनकी कोई तस्वीर उपलब्ध नहीं है लेकिन उनका नाम पता है. उनका नाम है मियाओ डेशून.
वे बीजिंग के कारखाने में काम करने वाले एक मज़दूर हैं. उन्हें जलते हुए एक टैंक पर एक टोकरी फेंक के आगज़नी का दोषी पाया गया था.
मौत की सज़ा
इस मामूली से लगने वाले अपराध के लिए उन्हें मौत की सज़ा मिली थी जिसे बाद में उम्रक़ैद में तब्दील कर दिया गया था. मियाओ की रिहाई 15 सितंबर 2018 को निर्धारित की गई है.
मियाओ के साथ जेल में रहे डांग शेंगकून उनको याद करते हुए कहते हैं, "वह एक शांत व्यक्ति थे और अक्सर बहुत उदास रहते थे."
बीबीसी ने मियाओ के बारे में उनके जिस भी परिचित व्यक्ति से बात की उसका यही कहना था कि मियाओ बहुत ही दुर्बल व्यक्ति हैं बिल्कुल कृशकाय.
बीजिंग के कारागार ब्यूरो ने मियाओ के बारे में किसी भी सवाल का यह कहते हुए जवाब नहीं दिया कि वे कभी विदेशी पत्रकारों के सवालों का जवाब नहीं देते हैं.
चीनी क़ैदियों के क़ानूनी अधिकारों की वकालत करने वाले अमरीका स्थित संगठन दुई हुआ का कहना है कि बहुत संभव है कि मियाओ 1989 में हुए तियेनएनमेन विद्रोह के आख़िरी क़ैदी हैं.
बेशक, यह संभव है कि मियाओ की सालों पहले जेल में मृत्यु हो गई हो और उनके निधन की ख़बर को दबा दिया गया हो.
पुष्टि
कारागार ब्यूरो केवल रिश्तेदारों को ही क़ैदियों की स्थिति के बारे में जानकारी देता है.
लेकिन अगर ये माना जाए कि मियाओ डेशून अब भी ज़िंदा हैं तो क्यों वह दूसरे क़ैदियों के जेल से रिहा होने के बाद भी लंबे समय से जेल में हैं?
अधिकांश पूर्व क़ैदी सहमत हैं कि दूसरों के विपरीत मियाओ ने तियेनएनमेन विरोध प्रदर्शनों में अपनी भागीदारी के लिए अफसोस ज़ाहिर करने वाले स्वीकार पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था.
उन्होंने जेल में मज़दूरी करने से भी इनकार कर दिया और इसके बजाए अपनी कोठरी में अख़बार पढ़ते हुए दिन बिताना पसंद किया.
एक पूर्व क़ैदी सुन लियोंग याद करते हुए कहते हैं, "वह आख़िरी क़ैदी है क्योंकि उसने कभी नहीं माना कि वह ग़लत था. उसने नियमों का पालन करने से भी मना कर दिया और मज़दूरी करने से भी इनकार कर दिया."
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