ये हैं भारत की मिसाइल वुमैन
भारत की ये 'मिसाइल वुमैन' हैं अपने देश की महिला वैज्ञानिक डॉक्टर टेसी थॉमस। टेसी थॉमस मूल रूप से केरल के अलपुझा की रहने वाली हैं। यहीं पर इनका जन्म अप्रैल 1963 में हुआ। इन्होंने त्रिशूर के गर्वनमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। इस पढ़ाई के साथ ही शुरू होता है इनके प्यार का किस्सा। अब आप सोच रहे होंगे कि इन्हें किससे प्यार हुआ। आइए, देतें हैं आपको इस बात का भी जवाब।
मिलिए इनके पहले प्यार से
टेसी का ये प्यार उनके घर के पास ही रहता था। ये था रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन। ये वो रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन था जहां रॉकेट और मिसाइल से इनका प्यार शुरू हुआ। अपने इस प्यार को मुकाम तक पहुंचाने के लिए इन्होंने पुणे के इंस्टीट्यूट ऑफ अरमामेंट टेक्नोलॉजी से एमटेक की पढ़ाई पूरी की। इस इंस्टीट्यूट को अब डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के नाम से भी जानते हैं। यहां ये इन्होंने गाइडेड मिसाइल में एमटेक की पढ़ाई पूरी की थी।
यहां से हुई शुरुआत
1988 में ये पढ़ाई करते हुए ही डीआरडीओ से जुड़ीं। यही वो जगह थीं जहां पर इन्हें 'मिसाइल वुमैन' का नाम मिला। यहीं पर इस 'मिसाइल वुमैन' ने इस बात का खुलासा किया कि वो डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को अपना गुरु मानती हैं। यहीं से शुरू हुई मिसाइल 'अग्नि' से इनके जुड़ने की कहानी। यहां आपको सबसे पहले बताते हैं 'अग्नि मिसाइलों' के बारे में।
ये हैं 'अग्नि मिसाइलें'
याद दिला दें कि हाल ही में भारत ने पहले 'अग्नि V' और फिर 'अग्नि IV' का सफल टेस्ट किया। दोनों ही मिसाइलों को इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल प्रोग्राम (आईसीबीएम) के तहत डेवलप किया गया है। 'अग्नि V' की रेंज 5,000 किमी से भी ज्यादा है। वहीं 'अग्नि IV' की रेंज 4,000 किमी से ज्यादा है। यह मिसाइल पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का ड्रीम प्रोजेक्ट हुआ करती थी। यहां बताना जरूरी होगा कि डॉक्टर कलाम की ही तरह ये 'मिसाइल वुमन' भी इस प्रोजेक्ट के साथ जुड़ी हुई हैं।
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'अग्नि III मिसाइल' के डेवलपमेंट की हुई शुरुआत
'अग्नि III मिसाइल' को डेवलप करने की शुरुआत हुई। यहीं से डॉक्टर टेसी इसके डेवलपमेंट से जुड़ गई थीं। 'मिसाइल अग्नि III' बनकर तैयार हुई और उसके बाद 'मिसाइल अग्नि IV' पर काम शुरू हुआ। शुरू से ही डॉक्टर टेसी इसके डेवलपमेंट प्रोग्राम से जुड़ी रहीं। हर कदम पर इन्होंने मिसाइल के डेवलपमेंट में अपना बेहतर से बेहतर योगदान देने का प्रयास किया।
'मिसाइल अग्नि V' का आया वक्त
उसके बाद वक्त आया 'मिसाइल अग्नि V' का। उस वक्त इनको बतौर प्रोजेक्ट डायरेक्टर इससे जोड़ा गया। अपने देश के लिए इतने बड़े प्रोग्राम से जुड़कर इन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाया। यहां डॉक्टर टेसी ने सारी अग्नि मिसाइल के लिए हर गाइडेंस प्रोग्राम को खुद डिजाइन किया।
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घर पर दिया बराबर समय
अब आप सोच रहे होंगे कि इतनी बड़ी वैज्ञानिक होकर इन्होंने अपना सबकुछ इन मिसाइलों के डेवलपमेंट में दे दिया होगा। नहीं, ऐसा नहीं है। बतौर प्रोजेक्ट डायरेक्टर वह दिन के 12 घंटे जी-तोड़ मेहनत के साथ काम करती थीं। इसके बाद का पूरा समय वो अपने घर को देती थीं। जितनी मेहनत वो इन मिसाइलों के डेवलपमेंट के साथ करती थीं, उतनी ही मेहनत उन्होंने अपने घर और परिवार के साथ भी की।
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यहां मिला ये नाम
इनकी इसी तरह की मेहनत का नतीजा था कि 2012 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इनको महिला सशक्तिकरण का परफेक्ट उदाहरण बताया था। आपको बता दें कि 'मिसाइल वुमैन' के अलावा 'अग्नि मिसाइल' के डेवलपमेंट में अपना अहम योगदान देने के कारण इनको 'अग्नि पुत्री' के नाम से भी जाना जाता है।
मिला ये सम्मान
2012 में इनको लाल बहादुर शास्त्री पुरस्कार से नवाजा गया। इसके बाद 2014 में इन्हें वाई नयादम्मा से भी सम्मानित किया गया। अब आपको बताते हैं इनके परिवार के बारे में भी कुछ। इनके पति इंडियन नेवी में ऑफिसर हैं। इनका नाम है सरोज कुमार। इन दोनों का एक बेटा भी है। बेटे का नाम है तेजस। तेजस फोर्ड टेक्नोलॉजीज में इंजीनियर है।
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