अमोल उन चंद बच्चों में शामिल थे जिन्होंने गुलज़ार का लिखा मशहूर गाना ‘जंगल जंगल बात चली है पता चला है’, गाया था।
दूरदर्शन पर आने वाले सीरियल 'द जंगल बुक' के क़रीब दो दशकों बाद अब जंगल बुक नाम से फ़िल्म रिलीज़ हुई है। गुलज़ार के लिखा गाना आज भी कई लोगों की ज़बान पर है।
उस समय को याद करते हुए अमोल बताते हैं, "मैं पहली बार किसी स्टूडियो में गया था। मैं बच्चा था और गाना गाते समय हुए बहुत डरा हुआ था। रिकॉर्डिंग के समय स्टूडियो में गुलज़ार साहब, विशाल भारद्वाज और रेखा भारद्वाज भी थे। विशाल भारद्वाज ने कहा कि आंखे बंद करके गाओ। विशाल जी ने मुझे गोद में लिया और गाने का तरीक़ा भी बताया।"
"तब मुझे कुछ भी मालूम नहीं था, सबने मिलकर हमें कविता की तरह गाना याद कराया और मैंने कविता के तौर पर ही गा दिया था। बाद में पता चला कि गाना इतना हिट हो गया।"
हालांकि तब के ज़माने में न तो स्मार्टफ़ोन थे न सोशल मीडिया और न इतने टीवी चैनल लेकिन अमोल बताते हैं कि बिना किसी पब्लिसिटी के ही वे काफ़ी हिट हो गए थे।
स्कूल की बात याद करते हुए अमोल ने बताया, "मैं स्कूल में भी मशहूर हो गया। जंगल बुक की वजह से ही मुझे हर सुबह स्कूल में राष्ट्रीय गीत गाने के लिए चुना गया था।"
अमोल का बेटा पौने दो साल का है। अमोल कहते हैं कि हालांकि वो अभी ठीक से बोल भी नहीं पाता है लेकिन यू यूट्यूब पर जंगल बुक का गाना सुनते ही वो पापा-पापा करने लगता है।
अब तक अमोल भले ही कमोबेश गुमनाम रहे हों लेकिन जंगल बुक के रिलीज़ होने के बाद से सोशल मीडिया पर अचानक वो लोकप्रिय हो गए हैं। अमोल ने बताया कि फ़ेसबुक पर इतनी फ़्रेंड रिक्वेस्ट आई कि उन्हें लगा शायद अकाउंट हैक हो गया।
अमोल बतौर बाल कलाकार मुंबई में शो भी करते थे लेकिन गायन को अपना करियर नहीं बना सके। अमोल कहते हैं कि परिवार में पढ़ाई को ही अहमियत दी जाती थी।
लेकिन अमोल म्यूज़िक से हमेशा जुड़े रहे और अब चाहते हैं कि अगर मौका मिले तो ज़रूर गाएँगे।
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