मौका था मिस्टर गे वर्ल्ड प्रतियोगिता का जहां अपनी सुंदरता, बुद्धिमता और सहजता का प्रदर्शन करके सबसे हसीन गे के ख़िताब पर कब्ज़ा करने की जद्दोजहद चलती है.
2009 में शुरू हुई इस ख़ास प्रतियोगिता में सिर्फ पुरुष गे भाग लेते हैं.
भारत के 24 वर्षीय सुशांत दिवगीकर ने भी इसमें हिस्सा लिया. उन्होंने ख़िताब तो नहीं जीता लेकिन चार अलग-अगल श्रेणियों में ज़रूर ईनाम जीता.
लेकिन मिस्टर गे प्रतियोगिता में किस आधार पर होता है चयन?
सुशांत दिवगीकर की ज़ुबानी:
कैसे प्रतियोगिता में चुने गए
भारत के सुशांत दिवगीकर ने मिस्टर गे वर्ल्ड प्रतियोगिता में चार अवॉर्ड जीते.
धारा 377 ने तो हमें अपराधी बना दिया. इसलिए भारत से ज़्यादा लोग इस प्रतियोगिता के लिए अप्लाई नहीं करते.
फिर भी इस साल क़रीब 20 समलैंगिको ने भारत से अप्लाई किया.
हमारी एक संस्था है जो सभी आवेदन पत्र पढ़ती है, जांचती है और फिर चयन होता है.
फिर हमारा इंटरव्यू होता है जिसके बाद फिलीपींस की एक संस्था दक्षिण एशियाई आवेदकों को शॉर्टलिस्ट करती है.
'फ़र्ज़ी आवेदन और पुष्ट समलैंगिक'
कई आवेदन फ़र्ज़ी होते हैं. समलैंगिक होने का नाटक मुझसे तो नहीं होता.
कई स्ट्रेट (सामान्य) प्रतियोगी भी इसमें अपनी एंट्री भेजते हैं क्योंकि म्सटर गे वर्ल्ड बनने के बाद एक सेलेब्रिटी का दर्जा तो मिल ही जाता है.
लेकिन जब हमारे इंटरव्यू होते हैं तो परखा जाता है कि आप वाकई गे हो या सिर्फ़ गे होने का नाटक कर रहे हो.
प्रतियोगिता के पैनल में 5 जज होते हैं. हमें हमारे रंग, शरीर और बोल चाल पर नहीं आंका जाता.
बल्कि हम कितने पुष्ट समलैंगिक है और इस प्रतियोगिता को जीतकर क्या हासिल करना चाहते हैं, इसके आधार पर विजेता का चयन होता है.
हमें सरकार या किसी कॉर्पोरेट हाउस से कोई मदद नहीं मिलती. अगर आपको मिस्टर गे वर्ल्ड में हिस्सा लेना है तो सारे खर्चे ख़ुद करने पड़ते हैं.
यहां मिस वर्ल्ड और मिस यूनिवर्स की तरह लाखों प्रायोजक नहीं हैं. मैं एक अमीर परिवार से हूं और मेरे मां-बाप ने मुझे सपोर्ट किया इसलिए मैं ये कर पाया.
'फ़ालतू बोलने का फ़ायदा नहीं'
मुझे इस प्रतियोगिता में सबसे लोकप्रिय गे पुरुष, मिस्टर आर्ट, मिस्टर स्पोर्ट्स और पीपल च्वाइस अवॉर्ड मिला.
हम समलैंगिक अपने इंटरव्यू में फालतू के जवाब नहीं देते.
जो हम कर नहीं सकते, हम वो बोलते ही नहीं. जैसे मिस वर्ल्ड में वो लड़कियां सिर्फ अमन और शांति की बातें कर, मेरे विचार में मूर्ख जवाब देती हैं.
हम सीधा अपने समलैंगिक समुदाय की बात करते हैं. हम अपने देश के समलैंगिकों के लिए क्या-क्या कर सकते हैं?
बिग बॉस से प्रस्ताव
मेरे पास टीवी रियलिटी शो बिग बॉस में हिस्सा लेने का प्रस्ताव है.
भारत सरकार को भी इस तरह की प्रतियोगिताओं को प्रोत्साहन देना चाहिए.
इससे मेरे जैसा शख़्स गर्व से कह सकेगा कि मैं भारतीय समलैंगिक हूं.