मेडिकल टेस्टिंग कंपनी ने रखा था वहां
विश्व के सबसे तन्हा चिंपैंजी पोंसो को हाल ही में सबसे बेहतरीन सप्राइज मिला जब उससे मिलने उस अकेले टापू पर कोई आया। खुश हो कर पोंसो ने अपने मेहमान को बाहों में भर लिया और जोर जोर से हंसने लगा। पोंसों और उसके परिवार को एक मेडिकल टैस्टिंग कंपनी ने इस टापू पर रखा था। ये टापू उनके लिए एक चिकित्सीय प्रयोगशाला है जहां वे चिंपैजीज पर जांच करते हैं। पोंसों की पत्नी और बच्चों की तीन साल पहले मृत्यु हो गयी थी। तबसे वो टापू पर अकेला है। सिर्फ एक नजदीक के गांव के निवासी जर्मेन के अलावा वो किसी को नहीं जानता। जर्मेन उसे भोजन और पानी पहुंचाने का काम करता है।
कितना अकेला मैं
पोंसो उन 20 चिपैंजी के दल का हिस्सा था जिन्हें न्यूयॉर्क ब्लड सेंटर द्धारा जांच के बाद आइवरी कोस्ट के टापू पर रखा गया था। उन पर कई प्रयोग और जांचे की गयीं। ये सारे चिपैंजी सात से ग्यारह वर्ष की आयु के बीच के थे। एक एक के कर के ये 11 चिंपैजी काल का शिकार बन गए। नौ जीवित बचे चिंपैजी में पोंसो का भी परिवार था उसकी पत्नी और दो बच्चे, पर भूख और बीमारी ने उन्हें भी जीवित नहीं छोड़ा और 2013 के बाद अकेला पोंसो बचा जिसे जर्मेन से मिला खाना जिंदा रखे था। यही वजह थी जब एस्टेले उससे मिलने पहुंचीं तो वो खुशी से पागल हो गया और उसने ना सिर्फ उन्हें कस कर अपनी बाहों में कर गले लगा लिया बल्कि उसके चेहरे पर कानों तक लंबी मुस्कराहट फैल गयी।
चिंपैजी को चाहिए मदद
हांलाकि वित्तीय मदद ना मिलने के कारण चिपैंजीज की देखभाल का अपना कार्यक्रम 2005 में ही समाप्त करने के बावजूद न्यूयॉर्क ब्लड सेंटर अभी भी 66 चिपैजीज की देखभाल कर रहा है पर अभी भी पोसो जैसे कईयों को मदद चाहिए। ब्लड सेंटर ने अब हाथ खड़े कर दिये हैं कि सरकारी मदद ना मिलने से धन के अभव के चलते और अधिक इस कार्यक्रम को चलाये रखना संभव नहीं है। पर अब SOS PONSO जैसी कई एनजीओ सामने आयी हैं जो चिंपैजी की देखभाल का काम करने का दायित्व उठा रही हैं। SOS PONSO ने €20,000 रुपए इकठ्ठे करने का अपना लक्ष्य पार भी कर लिया है।
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