हर महीने LPG गैस का रिफिल सिलेंडर तो हम सभी के घरों में आता है। उस वक्त सिलेंडर का लीकेज तो कई लोग चेक कर लेते हैं, लेकिन सिलेंडर कितना पुराना है या उसकी जांच कब से नहीं हुई है। इस बारे में जानने की कोशिश शायद ही कोई करता हो, लेकिन बता दें कि यह बहुत जरूरी है।

 

कहां लिखा होता है LPG सिलेंडर का यह नंबर

हर एक LPG सिलेंडर पर कोडवर्ड में एक नंबर लिखा होता है, जो बताता है कि आपके यहां पहुंचे रिफिल सिलेंडर की सुरक्षा जांच कब से नहीं हुई है। यह कोड नंबर गैस सिलेंडर पर ऊपरी छल्लेदार सर्किल के भीतर लिखा होता है। यानि कि सिलेंडर में रेगुलेटर लगाने की जगह के चारो ओर छल्ले के नीचे लोहे की 3 चौड़ी पट्टियां होती हैं। इनमें से एक पट्टी पर अंग्रेजी के अक्षर A-B-C-D के साथ एक कोड लिखा होता है। जो बताता है कि सुरक्षा मानकों पर आपका सिलेंडर इस वक्त ठीक है या नहीं। इस कोड को देखकर आप जान जाएंगे कि सुरक्षा मानकों पर यह सिलेंडर फिट है या नहीं।

lpg सिलेंडर पर लिखे नंबरों का मतलब जानते हैं? अगर नहीं तो मुश्किल में पड़ सकते हैं आप


हर नंबर कुछ कहता है

सिलेंडर पर मौजूद इस कोड में लिखे A-B-C-D साले के महीनों को दर्शाते हैं। कहने का मतलब यह है कि

A - जनवरी से मार्च

B - अप्रैल से जून

C - जुलाई से सितंबर

D - अक्टूबर से दिसंबर

A-B-C-D के बाद लिखे नंबर साल को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए अगर किसी सिलेंडर पर लिखा है B-19 , तो इसका मतलब यह है कि उस सिलेंडर की सुरक्षा जांच अप्रैल से जून 2019 के बीच की जानी है। इस हिसाब से आपका सिलेंडर फिलहाल पूरी तरह फिट है। पर अगर किसी सिलेंडर पर नंबर लिखा है C-16, तो जान लीजिए कि वो सिलेंडर अपनी एक्सपायरी पूरी कर चुका है। कहने का मतलब यह है कि उस सिलेंडर की सुरक्षा जांच करीब 6 या 8 महीने पहले होनी थी, लेकिन वो अब तक नहीं हुई है। ध्यान रखिए अगर ऐसा सिलेंडर आपके घर पर डिलीवर हो तो उसकी लीकेज चेक करें और कोई भी दिक्कत महसूस होने पर उसे जल्दी से जल्दी एजेंसी को वापस करके दूसरा सिलेंडर लें। ऐसा न करके आप खुद या परिवार वालों के लिए खतरा मोल ले रहे हैं।

 

कब कब जरूरी होती है घरेलू गैस सिलेंडर की टेस्टिंग

बता दें कि LPG गैस सिलेंडर को BIS 3196 मानक के आधार पर ही बनाया जा सकता है। जिन कंपनियों के पास लाइसेंस के साथ CCOE यानी चीफ कंट्रोलर ऑफ एक्स्प्लोसिव का अप्रूवल लेटर होता है, सिर्फ वो ही गैस सिलेंडर का उत्पादन कर सकता है। गैस सिलेंडर बनने के दौरान उसे हाई प्रेशर टेस्ट पास करना होता है, ताकि कंपनी इस बात के श्योर हो, कि सामान्य स्थिति में वो सिलेंडर फटेगा नहीं। BIS कोड्स ऐंड गैस सिलेंडर रूल्स, 2004 के मुताबिक हर सिलेंडर पब्लिक तक पहुंचने से पहले कड़ी सुरक्षा जांच से गुजरता है। यही नहीं कोई भी सिलेंडर उत्पादन के 10 साल के बाद फिर से सुरक्षा जांच और प्रेशर टेस्ट के लिए भेजा जाना जरूरी है। इसके बाद फिर 5 साल बाद भी सिलेंडर की तीसरी बार टेस्टिंग होती है। यानि कि हर सिलेंडर की 15 साल की लाइफ के दौरान उसका दो बार प्रेशर टेस्ट किया जाता है। या फिर शिकायती सिलेंडर्स में hydro test द्वारा उनका लीकेज चेक किया जाता है। सुरक्षा जांच और प्रेशर टेस्ट में पास होने वाले सिलेंडर ही दोबारा से गैस रिफिलिंग में इस्तेमाल किए जाते हैं। टेस्ट में फेल होने वाले सिलेंडर गैस कंपनी को न देकर नष्ट कर दिए जाते हैं।


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