नई दिल्ली (एजेंसी)। पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर शुक्रवार को एक बार फिर अपने मंत्रालय लौटे लेकिन इस बार विदेश मंत्री बनकर। मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर उनके स्वागत में लिखा 'वेलकम बैक'।
1977 बैच के IFS अधिकारी
एस जयशंकर 1977 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं। उन्हें पद्म श्री से भी सम्मानित किया जा चुका है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में साल 2015 से 2018 में अपने रिटायरमेंट तक वह बतौर विदेश सचिव काम कर चुके हैं। उन्होंने विदेश मंत्री के तौर पर सुषमा स्वराज की जगह ली है। जिन्होंने स्वास्थ्य कारणों से लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। जयशंकर को पीएम मोदी का करीबी सहयोगी माना जाता है और विदेश मामलों में उनकी छवि' संकट निवारक' की है। जनवरी 2018 में रिटायरमेंट के बाद, जयशंकर को टाटा समूह ने अपने ग्लोबल कॉर्पोरेट अफेयर्स का प्रेसिडेंट बनाया था।
इंडो-यूएस न्यूक्लियर डील
ऐसा माना जाता है कि भारत सरकार की चीन व अमरीका रणनीति तय करने में उनका खासा प्रभाव है। साल 2008 में वह मनमोहन सिंह के पीएम रहते उस टीम का हिस्सा थे जिसने ऐतिहासिक इंडो यूएस न्यूक्लियर डील को साकार रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह पहले चीन व फिर अमरीका में भारत के राजदूत भी रह चुके हैं। उन्होंने चेक गणराज्य में भारत के राजदूत व सिंगापुर में हाई कमिशनर की भी भूमिका निभाई है। वह श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के पहले सचिव व राजनीतिक सलाहकार की भी भूमिका निभा चुके हैं।
मोदी से पहली मुलाकात
यह माना जाता है कि एस जयशंकर से पीएम नरेंद्र मोदी की पहली मुलाकात साल 2012 में हुई, जब वह गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए चीन के दौरे पर गए थे। डोकलाम विवाद हल करने में भी जयशंकर की महत्वपूर्ण भमिका मानी जाती है।
पॉलिटिकल साइंस में एमए
एस जयशंकर का राजनीतिक जीवन भले ही अब शुरू हो रहा है लेकिन बताते चलें कि वह दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित कॉलेज सेंट स्टीफेंस से पॉलिटिकल साइंस में एमए हैं और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशंस में उनके पास एमफिल व पीएचडी की डिग्री है। उन्होंने क्योको जयशंकर से विवाह किया है जिससे उनके दो बेटे व एक बेटी है।
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