लखनऊ (पीटीआई)। बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत में हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए लगाए गए नारों का स्वागत करते हुए कहा कि वे जिले में 2013 के दंगों के कारण हुए गहरे घावों को भरने में मदद करेंगे। ऐसी खबरें थीं कि रविवार को जिले की महापंचायत में कई किसानों ने हिंदू-मुस्लिम एकता का आह्वान करते हुए नारेबाजी की। मायावतीने एक ट्वीट में कहा कियूपी के मुजफ्फरनगर जिले में कल हुई किसानों की जबरदस्त महापंचायत में हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए भी प्रयास अति-सराहनीय। इससे निश्चय ही सन 2013 में सपा सरकार में हुए भीषण दंगों के गहरे जख्मों को भरने में थोड़ी मदद मिलेगी किन्तु यह बहुतों को असहज भी करेगी।
मायावती बोलीं दंगों में करीब 62 लोग मारे गए थे
वहीं एक अन्य ट्वीट में किसानों को देश का गौरव बताते हुए कहा कि यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने कहा कि किसान देश की शान हैं तथा हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा के लिए मंच से साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए लगाए गए नारों से भाजपा की नफरत से बोयी हुई उनकी राजनीतिक जमीन खिसकती हुई दिखने लगी है तथा मुजफ्फरनगर ने कांग्रेस व सपा के दंगा-युक्त शासन की भी याद लोगों के मन में ताजा कर दी है। बता दें कि 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों में कम से कम 62 लोग मारे गए थे। उत्तर प्रदेश और पड़ोसी राज्यों के हजारों किसान रविवार को मुजफ्फरनगर में महापंचायत के लिए एकत्र हुए और तीन कृषि कानूनों को खत्म होने तक अपना आंदोलन जारी रखने का संकल्प लिया।
पिछले साल नवंबर से किसान आंदोलन हो रहा है
किसानों का यह कार्यक्रम संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा आयोजित किया गया था जो पिछले साल नवंबर से आंदोलन की अगुवाई कर रहा है। बतादें कि देश की राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर नवंबर से किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 , किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 का लगातार विरोध हो रहा है।
National News inextlive from India News Desk