Mauni Amavasya 2020 Snan and Puja vidhi : जिस रात चंद्रमा का आधा भाग काला और आधा सफेद हो जब चंद्रमा क्षीण हो कर नहीं दिखता है तो उस तिथि को मौनी अमावस्या कहते हैं। इस पर्व पर स्नान व दान का विशेष महत्व है। इस दिन तिल का विशेष महत्व है इसलिए दान में उसे अत्यंत आवश्यक स्थान प्राप्त है। इस दिन यानी की मौनी अमावस्या को गंगा स्नाना कर दान- पुण्य आदि कर्म किया जाता है। इस वर्ष मौनी अमावस्या 24 जनवरी 2020 को है।
इस तरह करें पूजन
60 या 40 मासा सोने का अथवा चांदी का पात्र बना करके उसमें खीर भरें और पृथ्वी पर चावलों का अष्टदल बना करके उस पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश स्वरूप उपयुक्त पात्र को स्थापित करके गंध पुष्प आदि से पूजन करें और फिर वेद पाठी ब्राह्मणों को दान दें। यह दान समुद्र दान व पृथ्वी दान करने के समान होता है। यह अवश्य स्मरण रखना चाहिए कि व्रत में गोदान, सैया दान और जो भी दे 3- 3 की मात्रा में दान देना चाहिए।
दान करना होता है शुभ
मौनी अमावस्या के शुभ अवसर पर सतयुग में वशिष्ठ जी ने त्रेता में राम चंद्र जी ने द्वापर में धर्मराज युधिष्ठिर ने अनेक प्रकार के दान धर्म किए थे। अतः धर्म सत पुरुषों को अब भी यह दान अवश्य करना चाहिए। माघ मास की अमावस्या को यानी की मौनी अमावस्या में प्रयागराज में 10000 तीर्थों का समागम होता है। प्रयाग के अतिरिक्त काशी, नेमीशरण, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, बिठूर आदि अन्य पवित्र जगहों पर स्थिक नदियों में स्नान का महत्व है।
इसलिए अवश्य करना चाहिए स्नान
अग्नि पुराण में कहा गया है कि माघ मास में व्रत दान और तपस्या से भी भगवान विष्णु को उतनी प्रसंता नहीं होती जितनी कि माघ मास की मौनी अमावस्या पर स्नान करने से होती है। इसलिए स्वर्ग लाभ सभी पापों से विभक्ति तथा भगवान वासुदेव की प्राप्ति के लिए प्रत्येक मनुष्य को मौनी अमावस्या का स्नान करना चाहिए।
- पंडित दीपक पांडेय
Mauni Amavasya 2020 : जानें स्नान के बाद पूजन विधि, व्रत कथा व पौराणिक महत्व