कानपुर (इंटरनेट डेस्क) । होली का पर्व पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। होली पर्व को लेकर लोगों में अलग- अलग प्रकार की मान्यताएं है। रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से तीन दिन तक मनाया जाता है।
मथुरा के नंदगांव में शनिवार को होली उत्सव के जश्न में शामिल होती महिलाएं। इस होली उत्सव में महिलाएं पारम्परिक कपड़े पहनकर शामिल होती हैं।
मथुरा के नंदगांव में शनिवार को नंद बाबा मंदिर में होली खेलते लोग। इस होली में लोग रंगों के साथ-साथ पानी का भी उपयोग करते हैं।
नंद बाबा मंदिर में होली समारोह में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी शामिल होती है। इसमें लोग रंगों, फूलों के अलावा डंडों से होली खेलने की परंपरा निभाते है।
देश के कई शहरों में अलग-अलग प्रकार से होली के उत्सव मनाएं जाते है। मथुरा में दुनियाभर से लोग इस होली का लुत्फ उठाने आते है। मथुरा की फूलों की होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
नंदगांव में शनिवार को नंद बाबा मंदिर में होली के जश्न के रूप में लोग रंगों से खेलते हैं। इस दिन नंदगांव के पुरूष बरसाने आकर राधा रानी के मंदिर पर झंडा फहराते हैं। बरसाने की महिलाएं उन्हें लट्ठ से मारनें की कोशिश करती हैं।
मथुरा में नंद बाबा मंदिर में होली समारोह में पुजारी फूलों को लोगों के ऊपर फेकतें है। इस प्रकार के रंग- बिरंगे फूलों की वर्षा का दृश्य बड़ा ही मधुर और सुशोभित लगता है।
मथुरा के नंदगांव में 'लट्ठमार होली' न सिर्फ देश में मशहूर है बल्कि पूरी दुनिया में भी काफी प्रसिद्ध है। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मथुरा में लट्ठमार होली मनाई जाती है।
मथुरा के नंदगांव में शनिवार को लोग 'लट्ठमार होली' समारोह के हिस्से के रूप में रंगों से खेलते हैं। यहां पर महिलाओं और पुरुषों का यह होली का खेल बड़ा ही लोकप्रिय माना जाता है।
नंद बाबा मंदिर में होली समारोह में हर वर्ग के लोग शामिल होतें है। इस दिन पूरे शहर में भजन और आध्यात्मिक गीत बजाए जाते है।
मथुरा की फूलों वाली होली के लिए कई क्विंटल फूल मंगाए जाते है। इसमें गुलाब, गेंदा, कमल, डेजी, चंपा, चमेली, लिली, डाहलिया, हिबिस्कुस, सूरजमुखी, मैगनोलिया, बहुलिया, कचनार, कनेर, गुल मोहर आदि प्रकार के फूल शामिल रहते है।
National News inextlive from India News Desk