देश में वकीलों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया जा रहा है.
1989 में हुए इस संहार और प्रदर्शनों से संबंधित शब्दावलियों को इंटनेट सर्च में प्रतिबंधित कर दिया गया है और गूगल पर कथित रूप से रोक लगाई जा रही है.
तियेनएनमेन पर हुआ प्रदर्शन चीन में 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक की स्थापना के बाद कम्युनिस्ट शासन के ख़िलाफ़ सबसे बड़ा प्रदर्शन था.
लोकतांत्रिक सुधारों की मांग को लेकर तियेनएनमेन चौक में लाखों लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठा हुए थे.
यह प्रदर्शन हफ़्तों तक चला. चार जून को 1989 को चीनी प्रशासन ने बीजिंग की सड़कों पर सैकड़ों लोगों का संहार कर इसे दबा दिया.
विश्लेषकों का मानना है कि प्रदर्शन की 25वीं बरसी पर होने वाला दमन पहले के वर्षों की अपेक्षा और कड़ा है.
गिरफ़्तारी, रोक और प्रतिबंध
प्रशासन ने हफ्तों पहले से असंतोष रखने वालों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को चेतावनी देना शुरू कर दिया था.
हाल के दिनों में आधिकारिक दमन और तेज़ हो गया है. गत सोमवार को चीनी मूल के ऑस्ट्रेलियाई कलाकार को हिरासत में ले लिया गया.
ख़बरों में कहा गया है कि कलाकार को फाइनेंशियल टाइम्स अख़बार में छपे उनके साक्षात्कार प्रकाशित होने के दूसरे दिन ही हिरासत में ले लिया गया.
दर्जनों सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और अकादमीशियनों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि तियेनएनमेन के आस पास सुरक्षा के भारी बंदोबस्त किए गए हैं, अर्द्ध सैनिक बल चौक के पास पुलों और सड़कों की कड़ी निगरानी कर रहे हैं.
तियेनएनमेन की घटना के समय चीनी सरकार ने प्रदर्शन को प्रतिक्रांतिकारी दंगा के रूप में पारिभाषित किया था.
बीजिंग में इस घटना से संबंधित कोई स्मारक भी नहीं है.
हालांकि, हांगकांग में रविवार को लोकतंत्र समर्थक सैकड़ों लोगों ने रैली की शक्ल में सड़कों पर निकले.
बुधवार को तियेनएनमेन घटना की याद में होने वाली रैली में हजारों लोगों के हिस्सा लेने की संभावना है.
International News inextlive from World News Desk