कहानी :
एक ऐसे इंसान की कहानी जो है तो खुद अकेले दीवारों के परे रिश्ते ढूंढता फिरता है।
समीक्षा :
1954 की एक बहुत शानदार फिल्म है जागते रहो, राज कपूर की ये फिल्म आज भी रेलेवेंट है। दोगले समाज में किस प्रकार से रोज ज़िन्दगी से खेल खेले जाते हैं और ऐसे समाज में रिश्तों के क्या मायने हैं? क्या होते हैं रिश्ते और कैसे बनते हैं? और कब ये ऐसे हो जाते हैं कि इनके लिए कुछ भी किया जा सके। फिर भी ऐसा नहीं कि रिश्ते एक से रहें और वक्त वक्त पर ये रंग भी बदल देते हैं। फिल्म एक सत्य घटना पर आधारित है इससे यह फिल्म और भी रोचक लगती है। बड़ी ही सलीके से निर्देशक इस क्राइम पट्रोल टाइप स्टोरी से अपलिफ्ट करके उसे एक इमोशजल कहानी बनाते हैं। फिल्म की सिनेमाटोग्राफी फिल्म को रियल फील देती है उस पर फिल्म का आर्ट डायरेक्शन भी शानदार है। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी फिल्म की फील को एनहान्स करता है।
अदाकारी :
मनोज बाजपेयी की अलीगढ़ के बाद की फिल्मों में एक जैसे किरदार देख देख के मन बोर सा हो गया था, इस फिल्म के साथ मनोज अपने परफेक्शनिस्ट अवतार में नजर आये हैं। यकीनन ये एक्टिंग इस साल की सबसे बेस्ट परफॉर्मेंस में से एक है।
Manoj Bajpayee starrer Gali Guleiyan is an intense psychological thriller about a man, who is entrapped within the city walls, and his own mind.
— Cinépolis India (@IndiaCinepolis) August 21, 2018
Watch the trailer right here!@BajpayeeManoj @RanvirShorey #NeerajKabi #GaliGuleiyanTrailer pic.twitter.com/OsV5sJ7q4S
मनोज की जबर्दस्त परफॉर्मेंस और एक हार्ड हिटिंग सोशल स्टोरी का स्क्रीन पर रूपांतरण देखने के लिए इस हफ्ते देखिए फिल्म 'गली गुलियां'।
रेटिंग : 4 STAR
Review by : Yohaann Bhaargava
Twitter : yohaannn
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