नई दिल्ली (एएनआई)। Manipur Violence : मणिपुर मामले को लेकर केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के जरिए सूचना दी है कि केंद्र सरकार का दृष्टिकोण महिलाओं के खिलाफ किसी भी अपराध के प्रति जीरो टोलरेंस का है। इसके साथ ही हलफनामे में कहा है कि केंद्र सरकार ने मणिपुर सरकार की सहमति से दो महिलाओं को बिना कपड़ों को घुमाने के वायरल वीडियो की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला लिया है। केंद्र सरकार वर्तमान जैसे अपराधों को बहुत जघन्य मानती है, जिन्हें न केवल गंभीरता से लिया जाना चाहिए, बल्कि न्याय भी होना चाहिए ताकि अपराधों के संबंध में पूरे देश में इसका निवारक प्रभाव पड़े। आगे कहा गया है कि मणिपुर में दो महिलाओं पर यौन उत्पीड़न और हिंसा की दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य घटना के प्रकाश में आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय लगातार मामले के घटनाक्रम पर नजर रख रहा है।
मामले में तेजी से एक्शन हो रहा है
इसमें यह भी बताया कि पहचाने गए अपराधियों को गिरफ्तार करने के लिए कई स्थानों पर बड़े पैमाने पर ऑपरेशन के लिए कई पुलिस टीमों का गठन किया गया है और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की निरंतर निगरानी में एक अतिरिक्त एसपी रैंक के अधिकारी को मामले की जांच सौंपी गई है। केंद्र ने कहा कि राज्य सरकार ने उसे सूचित किया है कि जांच के दौरान सात मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और आगे की जांच के लिए पुलिस हिरासत में हैं। इसने सिफारिश की कि मामले की सुनवाई राज्य के बाहर की जानी चाहिए और इसे छह महीने के भीतर पूरा किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार का यह भी मानना है कि न केवल जांच जल्द से जल्द पूरी की जानी चाहिए बल्कि मुकदमा भी समयबद्ध तरीके से आयोजित किया जाना चाहिए जो मणिपुर राज्य के बाहर होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने जतायी थी नाराजगी
बतादें कि इससे पहले, शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह उस वीडियो से "बहुत परेशान" है जो सामने आया है जिसमें दो आदिवासी महिलाओं को बिना कपड़ों के परेड करते और उनके साथ छेड़छाड़ करते देखा गया था। भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि यह "बिल्कुल अस्वीकार्य" है और हिंसा में महिलाओं को एक साधन के रूप में इस्तेमाल करना परेशान करने वाला है। वीडियो पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पीठ ने नाराजगी जतायी थी। इसके साथ ही पीठ ने कहा था कि उसे सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों से अवगत कराया जाना चाहिए ताकि अपराधियों पर ऐसी हिंसा के लिए मामला दर्ज किया जा सके। पीठ ने यह भी कहा कि वीडियो मई महीने का हो सकता है, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
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