पाकिस्तान के चरमपंथ ग्रस्त क्षेत्र स्वात की रहने वाली मलाला ने ज़िन्दगी और मौत के बीच चार महीने झूलने के बाद अपने पहले संदेश में कहा है कि पाकिस्तान में शांति और शिक्षा के विकास के लिए जो ज़रूरी होगा वो मलाला करने के लिए तैयार हैं.
मलाला ने ये सब बातें अपने वीडियो संदेश में कही हैं. उनके इस वीडियो संदेश में उनके चारों तरफ दुनिया भर से आए वो संदेश और ख़त पड़े हैं जिनमे उनकी सेहत के लिए प्रार्थना की गई है. मलाला ने अपने वीडियों में पहले अंग्रेजी फिर उर्दू और बाद में पश्तो भाषाओं में अपना संदेश दिया है.
मलाला का संदेश
मलाला अपने संदेश में कहा, "मैं बोल सकती हूँ, मैं देख सकती हूँ, और दिनोंदिन बेहतर हो रही हूँ, यह लोगों की दुआओं का परिणाम है." मलाला ने कहा कि लोगों की दुआओं के कारण ही उन्हें ऊपरवाले ने एक नई ज़िन्दगी बख्शी है .
मलाला ने उर्दू में बात करते हुए कहा, "मैं खुद को बलिदान करने के लिए तैयार हूँ फिर भी, मैं यह चाहती हूँ कि हर बच्चा पढ़ाई करे और हमारे देश में, बल्कि पूरी दुनिया में शांति हो. और शांति के लिए मैं फिर खुद को कुर्बान करूंगी."
मलाला ने अपने ज़िंदगी के बारे में बात करते हुए कहा, "मैं लोगों की सेवा करना चाहती हूँ, मैं चाहती हूँ कि हर लड़की, हर बच्चा शिक्षा ले. इस उद्देश्य के लिए हमने मलाला कोष बनाया है. उन्होंने कहा मलाला कोष लड़कियों की शिक्षा के लिए प्रयास करेगा और अच्छे स्कूल बनाएगा.
मलाला की उम्र 15 साल है और वो स्वात में तालिबान के हमले में बुरी तरह घायल होने के बाद इस समय ब्रिटेन के शहर बर्मिंघम में मौजूद हैं जहाँ उनका इलाज चल रहा है.
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