इस्लामाबाद (पीटीआई)। पाकिस्तान में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने चिंता व्यक्त की है कि कोविड-19 संकट खत्म होने के बाद भी दुनिया भर में करोड़ों लड़कियां स्कूलों में नहीं लौट सकती हैं। शुक्रवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के मौके पर बोलते हुए, पाकिस्तानी नोबेल पुरस्कार विजेता ने स्वीकार किया कि कोरोना वायरस हमारे सामूहिक लक्ष्यों जैसे कि महिलाओं को शिक्षित करने के लिए एक बड़ा झटका है। इस कोरोना वायरस से पूरी दुनिया प्रभावित हुई है। वहीं अकेले शिक्षा की बात करें तो अगर यह महामारी संकट खत्म भी हो जाए तो भी 2 करोड़ से अधिक लड़कियां दोबारा अपनी कक्षा में नहीं लौट सकेंगी।
मलाला महिला शिक्षा के लिए काम करती हैं
23 साल कीमलाला यूसुफजई ने बताया कि वैश्विक शिक्षा वित्त पोषण का अंतर पहले ही बढ़कर 200 अरब डॉलर प्रति वर्ष हो गया है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को याद दिलाया कि स्थायी वैश्विक लक्ष्य पांच साल पहले संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित किए गए थे। इस दाैरान उन लाखों लड़कियों के लिए भविष्य का प्रतिनिधित्व किया था जो शिक्षा चाहती थीं और समानता के लिए लड़ रही थीं। मलाला महिला शिक्षा के लिए काम करती हैं। वह पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा के लिए अभियान चलाने के लिए एक पाकिस्तानी तालिबान आतंकवादी की गोली का शिकार हो चुकी हैं। उन्हें साल 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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