कहानी : वही पुरानी, ट्रेलर से समझ मे आ जाएगी। नालयक लड़का, लायक लड़की और लड़की के ज़ालिम माँ बाप...
समीक्षा :
फिल्म बुरी नहीं है, बस रूटीन है। स्टोरी की देखें तो ऐसा कुछ नहीं है जो आपने पहले न देखा हो। ऐसी स्टोरी हर 15 दिन में मुझे एक बार जरूर देखने को मिलती है। एज आ मैटर ऑफ फैक्ट देखें तो सिमिलर कहानी हमे पिछले साल केदारनाथ में भी देखने को मिली थी, और यही कारण है कि इसकी तुलना मैं इसी तरह की फिल्म्स से करना चाहूंगा। फिल्म की कुछ बातें तो महा अजीब हैं, समीर धर्माधिकारी को इंट्रोड्यूस तो ऐसे किया जाता है, जैसे वो ही मेन विलेन हों, अफसोस करैक्टर को ऐसे गायब किया गया जैसे गधे के सर से सींग, ऐसा ही बाकी सह कलाकारों के साथ भी होता है। फिल्म का गीत संगीत 'आई शपथ', छोड़ के सभी सुना सुना सा लगता है। मंगेश जो कि इस फिल्म से मेनस्ट्रीम में बतौर निर्देशक एंट्री मार रहे हैं भन्साली के रंग में रंगे पुते से नजर आते हैं, कुछ फ्रेम, कुछ सीन और सभी गीत हूबहू भंसाली की तरह ही शूट किए गए है। मंगेश ने मानो भंसाली की फिल्म्स से ही सीन चुराए हैं। इस फिल्म की खराब एडिट ने फिल्म की आत्मा ही खींच ली है, थैंकफूली फिल्म ज्यादा लंबी नहीं है वरना तो आफत ही आ जाती। कुछ सीन बहुत अच्छे हैं, पर मोस्टली फिल्म बोरिंग है।
Malal official trailer | sanjay leela bhanssali's new movie trailer https://t.co/reRJ1rHVnL via @YouTube
— Billion memes (@MemesBillion) 6 June 2019
अदाकारी :
मीजान और शरमीन के घरवालों का रोल करने वाले सभी किरदारों ने बहुत ही बढ़िया काम किया है, खासकर मीजान की माँ का रोल करने वाली अदाकारा बहुत ही अच्छी हैं।
मीजान : जावेद जाफरी के बेटे मीजान काफी टैलेंटेड है, एक्टिंग भी अच्छी करते हैं और उनके फेसिअल हेयर के बीच मे से जो आंखें दिखती है, उनमें एक्सप्रेशन सही आते हैं, नाचते भी अच्छा हैं, मीजान को अगर अच्छे डायरेक्टर मिल जाएं तो शायद वो काफी आगे जा सकते है।
शरमीन : भंसाली की भांजी होना ही शरमीन के लिये हर्डल है, लोग उनसे सबसे ज्यादा आशा लगाएंगे, लोग उनसे एक्सपेक्टेशन लगा के न ही बैठे तो बेहतर है। 3/4 फिल्म में समझ ही नहीं आता कि उनका करैक्टर क्या फील कर रहा है, और लास्ट के 1/4 में जब थोड़ी उम्मीद जगती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। उनको एक्टिंग छोड़ के पोकर खेलना चाहिए, वहां उनका पोकर फेस काम आएगा।
कुलमिलार लास्ट में मीजान का किरदार सारी सहानुभूति बटोर लेता है, शर्मिंन तो याद भी नहीं रहती हाल से निकलने के बाद। इस कहानी पे एक बेहतरीन मराठी फिल्म बन सकती थी, फिल्म के कुछ सीन अच्छे है, पर मालल है कि बाकी की फिल्म बस टाइमपास है, फिर भी मीजान जाफरी के लिए एक बार बिना मलाल देख सकते हैं मलाल।
रेटिंग : 2 स्टार
बॉक्स ऑफिस प्रेडिक्शन : 5 करोड़ रुपये
Review by: Yohaann Bhaargava
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