इस सीरियल में दीपिका चिखलिया ने सीता का किरदार निभाया था.
बीबीसी के साथ एक साक्षात्कार में दीपिका ने बताया, "जब यह धारावाहिक शुरू हुआ तो मैं क़रीब साढ़े पंद्रह वर्ष की थी और तब इस बात का तनिक भी अहसास नहीं था कि हम नया इतिहास रचने जा रहे हैं."
वो बताती हैं, "रामचरित मानस में तुलसीदास ने राम और सीता की वेशभूषा के बारे में बताया है और हमें वैसा ही दिखना था."
दीपिका ने बताया, "यह पहली बार था जब टेलीविज़न पर रामायण को दिखाया जा रहा था. उस समय टेलीविज़न पर दिखना कोई बहुत अच्छी बात नहीं मानी जाती थी."
'स्टूडियो में ही सोते थे'
उन्होंने कहा, "पहला एपिसोड एक घंटे का था और उसे बनाने में क़रीब 15 दिन का समय लगा. मैं महीने में 27 दिनों तक वहां रहती थी. वहां मेकअप स्टूडियो होता था तो हम यहीं रहते थे और कोई भी मुंबई नहीं लौटता था."
दीपिका कहती हैं, "एक अभिनेता के तौर पर सबने बेहतरीन प्रदर्शन किया और सबने इसे पसंद किया. छह महीने बीतते-बीतते हमें इस बात का अहसास हो गया था कि हम बड़े स्टार हो गए हैं."
वो एक ऐसा समय था जब राम और सीता के किरदार भारतीयों के लिए महाराजा और महारानी की तरह हो गए थे.
प्रधानमंत्री ने किया सम्मानित
दीपिका ने बताया, "हम पूरी दुनिया में अपने सीरियल को प्रमोट करने गए. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने हमें सम्मानित करने के लिए दिल्ली बुलाया. हमें हर जगह पहचान मिली."
वो कहती हैं, "वो ऐसा समय था जब टीवी सेट किसी धार्मिक स्थल में तब्दील हो जाते थे और हर रविवार को सुबह लोग रामायण देखने के लिए टीवी सेटों के इर्द-गिर्द इकट्ठा हो जाते थे."
दीपिका बताती हैं, "जब हम बाहर निकलते थे तो लोग हमारे पैर छूते थे. वो समझते थे कि हम वाक़ई राम और सीता हैं."
वो कहती हैं, "आज भी जब हम बाहर जाते हैं तो लोग हमें पहचान लेते हैं."
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