हिन्दू पर्व निर्णय के अनुसार सूर्य मकर राशि में जिस दिन प्रवेश करता है, उस दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। लेकिन स्नान और दान की विधि क्या है, यह सब लोगों को मालूम नहीं है।
अगर हम विधिपूर्वक स्नान और दान करते हैं तो हमारे सत्कर्मों का फल अत्यधिक मिलता है। ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा बता रहे हैं कि मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान की विधि क्या है —
स्नान की विधि
इस वर्ष मकर संक्रांति के दिन लोगों को प्रातः काल तिल का तेल और उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए। तिल के तेल मिश्रित पानी से स्नान करना, तिल का उबटन लगाना, तिल से होम करना, तिल डालकर जल पीना, तिल से बने पदार्थ खाना तथा तिल का दान देना-ये छः कर्म तिल से ही करने का विधान है।
पूजा विधि
प्रातः स्नान करने के पश्चात् सूर्य के सामने जल लेकर संकल्प करें, फिर बेदी पर लाल कपड़ा बिछाकर चंदन या अक्षतों का अष्ट दल कमल बनाकर उसमें सूर्य नारायण की मूर्ति स्थापित करें। उनका स्नान कराने के बाद गंध, पुष्प, धूप तथा नैवेध से पूजन करें तथा ’’ओम सूर्याय नमः’’ का जाप करें।
साथ ही आदित्य ह्नदय स्त्रोत का पाठ कर घी, शक्कर तथा मेवा मिले हुए तिलों का हवन करें और इनका दान भी करें। इस दिन घी, कम्बल के दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन किया गया दान, जप, तप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान आदि का दो-गुना महत्व है।
खिचड़ी का महत्व
इस दिन इस व्रत को खिचड़ी कहते है, इसलिये इस दिन खिचड़ी खाने तथा खिचड़ा तिल दान देने का विशेष महत्व मानते हैं।
ऐसे लोगों के लिए विशेष है मकर संक्रा्ंति
मकर संक्रांति का फल इस वर्ष 2019 में सोमवार को ’’ध्वांक्षी” नामक (30 मुहुर्ती) मकर संक्रांति, लघु संज्ञक नक्षत्र ’’आश्विनी” में होने के कारण वैश्य व्यापार एवं उद्योगों से जुड़े लोगो को लाभकारी रहेगी।
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