1 . हाइफन की गल्ती की भेंट चढ़ा 'मेरिनर 1'
अमेरिकी मेरिनर 1 प्रोग्राम पहला अंतरिक्ष यान था। 22 जुलाई 1962 को इस अंतरिक्ष यान ने उड़ान भरी और शुक्र फ्लाईबाई मिशन के रूप में उड़ान भरने के महज 294.5 सेकेंड के बाद ही ये कम्प्यूटर बग की भेंट चढ़ गया। एक सीमा सुरक्षा अधिकारी ने 09:26:16 UT पर इसे नष्ट कर दिया। नासा के इस परिदृश्य के लिए बाकायदा योजना बनाई थी। उसके बावजूद ऐसा अनुमान लगाया गया कि रॉकेट ने सिग्नल्स को कैच करना बंद कर दिया था। ऐसा बताया गया कि सिस्टम के बैकअप सॉफ्टवेयर में कुछ गड़बड़ी आने से रॉकेट इस दुर्घटना की भेंट चढ़ गया और मेरिनर 1 नष्ट हो गया। बाद में छानबीन करने के बाद ये मालूम पड़ा कि प्रोग्राम के गाइडेंस सिस्टम के कोड इंस्ट्रक्शन में कुछ गड़बड़ी आई थी। ये गड़बड़ी थी कोड में सिर्फ एक हाइफन एरर की। सिर्फ एक हाइफन की गलती से पूरा मेरिनर 1 प्रोग्राम दुर्घटना की भेंट चढ़ गया।
2 . जब रॉकेट में हुआ ये बड़ा धमाका
4 जून, 1996 एक ऐसी तारीख है जिसे यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी के काले दिन के तौर पर याद किया जाता है। इस दिन मानव रहित एरियन 5 रॉकेट, चार महंगे सेटेलाइट को लेकर अंतरिक्ष की ओर रवाना हुआ था, लेकिन गणित गड़बड़ाने की वजह से महज़ 36.7 सेकेंड के बाद ही रॉकेट में धमाका हुआ और वो आग के गोले में तब्दील हो गया। इस विस्फोट के कारण करीब 37 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ था।
3 . कंप्यूटर बना अमेरीकी सैनिकों की मौत का कारण
1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान इराकी स्कड मिसाइल अमरीकी सैनिकों की बैरक की ओर बढ़ रही थी। इसे आसमान में ही ध्वस्त करने के मकसद से अमेरीकी सैनिकों ने पेट्रियट मिसाइल को सही समय पर दागा, लेकिन दुर्भाग्यवश वो इराकी स्कड मिसाइल से 500 मीटर दूर से ही निकल गया। इस वजह से 28 अमेरीकी सैनिक मारे गए। इसका कारण कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर में गणित की गड़बड़ी को बताया गया।
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