समूह का कहना है कि मारे गए लोगों में सेना के चार जनरल भी शामिल हैं.
समझा जाता है कि विस्फोटकों को इमारत के बेसमेंट में रखा गया था. इसका मतलब ये निकाला जा रहा है कि विपक्षी लड़ाके सुरक्षा घेरा तोड़कर इमारत में दाख़िल होने में क़ामयाब हो गए थे.
सरकार या सरकारी मीडिया में इस हमले की कोई पुष्टि नहीं की गई है. दमिश्क में हाल के दिनों में हिंसा की घटनाएं तेज़ी से बढ़ी है. फौज़ और विद्रोहियों के बीच उपनगरीय इलाक़ों में झड़पें होती रहती हैं.
गुरुवार को दमिश्क के निकट ही बम हमले में तीन लोग मारे गए थे. सोमवार को एक स्कूली बस पर मोर्टार से हमला किया गया था जिसमें ड्राइवर और चार बच्चे मारे गए थे.
हिंसा से लाखों लोग प्रभावित
ताज़ा बम धमाके के बारे में 'सीरियन ऑब्ज़रवेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स' के प्रमुख रेमी अब्दुल रहमान ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, ''धमाके के वक्त रात की पाली में काम करने वाले लोग ही इमारत में मौज़ूद थे. यही धमाका एक घंटे पहले होता तो 200 लोग भी मारे जा सकते थे.''
राजधानी दमिश्क के अलावा उत्तरी हिस्से क़ारा में भी हिंसक घटनाएं हो रही है. क़ारा लेबनान की सीमा के नज़दीक है. शरण की तलाश में लोग लेबनान की ओर भाग रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़, लेबनान की सीमा पर बीते दो दिनों में हज़ारों सीरियाई पहुंच चुके हैं.
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि साल 2011 में राष्ट्रपति बशर अल असद के ख़िलाफ़ क्रांति के बाद से अब तक इस देश में एक लाख लोग मारे जा चुके हैं. इतना ही नहीं, 22 लाख से अधिक सीरियाई पड़ोसी देशों में चले गए हैं जबकि चालीस लाख से अधिक लोग देश के भीतर ही विस्थापित हुए हैं.
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