कानपुर। भगवान शिव यानि भोलेनाथ का खास दिन है शिवरात्रि, जो यूं तो साल के हर महीने में आता है लेकिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है और यह इस बार 21 फरवरी को मनाई जा रही है। महाशिवरात्रि के दिन भक्त पूरे विधि विधान के साथ भोलेनाथ की पूजा करते हैं। माना जाता है कि जो भी भक्त इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा अर्चना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और उसपर भोलेनाथ की कृपा भी हमेशा बनी रहती है। इस दिन भगवन शिव के कुछ भक्त काशी विश्वनाथ, उज्जैन में महाकालेश्वर व कुछ स्थानीय मंदिरों में शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और कुछ खास तरह से रुद्राभिषेक का आयोजन भी करवाते हैं। ऐसे में अगर पहले से पूजा की पूरी सामग्री एक जगह पर न हो तो मुख्य समय पर पूजा में बाधा पड़ सकती है। तो आइये, महाशिवरात्रि की पूजा से पहले पूजा की सारी सामग्री की पूरी लिस्ट पर डालें एक नजर।
Maha Shivratri 2020: क्या है शिवलिंग का रहस्य और इसके पूजन से कैसे बदल सकती है आपकी जिंदगी, जानिए
गंगाजल का महत्त्व
भोलेनाथ की पूजा-अर्चना में गंगा जल का सबसे खास महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां गंगा भगवान विष्णु के चरणों से निकलकर भगवान शिव की जटा से धरती पर अवतरित हुई हैं। इसलिए बाकी सारी नदियों की तुलना में गंगा जी को सबसे पवित्र माना जाता है। माना जाता है कि गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक करने से मन को शांति मिलती है।
Mahashivratri 2020: चरम पौरुष के प्रतीक हैं नटराज, वही हैं भगवान शिव: Sadhguru Jaggi Vasudev
पूजा में भांग का इस्तेमाल
जब भी भांग की बात होती है तो भगवान शिव को जरूर याद किया जाता है क्योंकि यह भी उनके लिए सबसे प्रिय है। धार्मिक ग्रन्थों में बताया गया है कि समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान शिव ने हलाहल विष पिया था तो देवताओं ने उनके इलाज के लिए उन्हें कई जड़ी-बूटियां दी थीं। इसमें भांग भी प्रमुख थी। तभी से भगवान शिव के लिए भांग विशेष रूप से प्रिय है।
Maha Shivratri 2020: रात्रि के इस पहर में पूजा करने से मिलेगा उत्तम फल
धतूरा भी चढ़ाएं
भगवान शिव की पूजा-अर्चना में धतूरा चढ़ाने का भी परंपरा है। वैसे तो धतूरे को जहरीला माना जाता है लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विष के प्रभाव को नष्ट करने के लिए भगवान शिव को जो जड़ी-बूटियां दी गई थीं उनमें से एक धतूरा भी शामिल था।