जूलियस मैगी के नाम पर
मैगी भारत समेत कई देशों में काफी लोकप्रिय है। मैगी शब्द स्विजरलैंड के उद्यमी जूलियस मैगी के नाम पर है। जूलियस मैगी को 1884 में अपने पिता की फैक्ट्री की महिलाओं को देखकर मैगी बनाने का विचार आया।
मैगी फैक्ट्री की स्थापना
जुलियस मैगी को लगा कि वर्किंग क्लास और सामान्य परिवारों को कम समय में पौष्टिक आहार देने के लिए इससे बेहतर कुछ नहीं होता है। इसके बाद उन्होंने जर्मनी में 1897 में मैगी फैक्ट्री की स्थापना की थी।
वेजेटेरियन फूड प्रोडक्ट
2 से तीन मिनट में बनकर तैयार होने वाली मैगी वेजेटेरियन फूड प्रोडक्ट है। आज मार्केट में 5, 10 और 20 रुपये में मैगी के कई स्पेशल फ्लेवर मिल जाते हैं। बच्चे हो या बड़े मैगी हर किसी की पसंदीदा है।
भारत में बैन हो चुकी
नेस्ले की मैगी अक्सर विवादों में घिरी रहती है। मई 2015 में उत्तर प्रदेश में खाद्य विभाग की टीम ने जांच के इसमें 0.17 पीपीएम सीसा और मोनोसोडियम ग्लूटामेट भी पाया गया था। ऐसे में कंपनी पर केस भी दर्ज हुआ था।
जब वापस लौटी मैगी
जून 2015 को देश में मैगी पर बैन लगा दिया गया था। हालांकि बाद में मैगी कानूनी प्रक्रिया से निपटने के बाद साल के अंत तक यह बाजार में वापस लौटी। इसके बाद देखते ही देखते वह फिर लोगों के बीच पसंदीदा बन गई।
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