एक लाख रुपये से ज्यादा एलटीसीजी पर 10 प्रतिशत टैक्स
नई दिल्ली (प्रेट्र)। बजट 2018 के प्रावधानों के अनुसार 1 लाख रुपये से ज्यादा एलटीसीजी पर 10 प्रतिशत की दर से टैक्स देना होगा। लांग टर्म कैपिटल गेन में शेयर या म्यूचुअल फंड की बिक्री से होने वाला लाभ शामिल है। म्यूचुअल फंड में ईएलएसएस भी शामिल होगा। शेयरों की बिक्री से 1 लाख रुपये ज्यादा लांग टर्म कैपिटल गेन पर 10 प्रतिशत टैक्स लगा दिया गया है। यह टैक्स 14 साल बाद एक बार फिर से अस्तित्व में आ गया है। 2004 में सरकार ने एलटीसीजी पर टैक्स खत्म कर दिया था। इसके स्थान पर सरकार ने सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) का प्रावधान किया था। वर्तमान में एक वर्ष के भीतर शेयरों की खरीद-फरोख्त पर 15 फीसदी कैपिटल गेन टैक्स लगता है। 1 अप्रैल से सरकार ने इस टैक्स को खत्म कर दिया है।
(इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल की प्लेटिनम जुबली पर वित्तमंत्री अरुण जेटली अपने एक संबोधन में, फाइल फोटो : प्रेट्र)
वरिष्ठ नागरिकों के लिए बढ़ा दी गई टैक्स छूट की सीमा
बजट में सीनियर सिटिजन ब्याज से अर्जित आय पर टैक्स छूट की लिमिट पांच गुना बढ़ा कर 50 हजार रुपये कर दी गई है। उनके लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम और ईलाज पर होने वाले खर्च सीमा बढ़ा कर 50 हजार रुपये कर दी गई है। आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत पहले यह सीमा 30 हजार रुपये थी। वरिष्ठ नागरिकों और अति वरिष्ठ नागरिकों को 1 अप्रैल से गंभीर बीमारी के ईलाज में कर छूट की सीमा बढ़ा कर 1 लाख रुपये कर दी गई है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए पहले यह सीमा 60 हजार रुपये और अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए 80 हजार रुपये थी।
(कोलकाता में इनकम टैक्स भवन, फाइल फोटो : रॉयटर्स)
अमीरों की बेशुमार दौलत पर लगता रहेगा सरचार्ज
एनडीए सरकार का अंतिम पूर्ण बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अमीरों की बेशुमार दौलत पर लगने वाला 10-15 प्रतिशत सरचार्ज बरकरार रखा है। वित्तमंत्री ने इसमें कोई राहत नहीं दी है। साथ ही सरकार ने हर प्रकार के आय कर पर हेल्थ और एजुकेशन सेश 1 प्रतिशत बढ़ा कर 4 प्रतिशत कर दिया है। वर्तमान में यह इसकी दर 3 प्रतिशत है। नये प्रावधान रविवार से लागू हो जाएंगे।
(नई दिल्ली इनकम टैक्स ऑफिस के भीतर का एक दृष्य, फाइल फोटो : रॉयटर्स)
सैलरीड के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन 'ऊंट के मुंह में जीरा'
ट्रांसपोर्ट और मेडिकल खर्चा और रिबर्समेंट को खत्म करके सरकार ने 40 हजार रुपये तक का स्टैंडर्ड डिडक्शन फिर से शुरू कर दिया है। इससे वेतनभोगी कर्मचारियों और पेंशनभोगी लोगों को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। जबकि सरकार ने इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है। वह पिछले वर्ष की तरह इस वित्त वर्ष भी समान रहेगा। वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए 2006-07 से स्टैंडर्ड डिडक्शन खत्म कर दिया गया था। वर्तमान में 19,200 रुपये ट्रांसपोर्ट और 15,000 रुपये के मेडिकल खर्च पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता था। अब इसकी जगह 40 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन ले लेगा। हेल्थ और एजुकेशन सेस को जोड़ दिया जाए तो इससे वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए 'ऊंट के मुंह में जीरा' जैसी राहत ही नसीब होगी।
(मुंबई में इनकम टैक्स रिटर्न पर मुहर लगाता एक कर्मचारी, फाइल फोटो : एएफपी)
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