दुग्ध उत्पादन से आय
कविंद्र को जब नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने परिवार के भरण पोषण के लिए शहर के लिए पलायन नहीं किया। पशुपालन कर पहले दुग्ध उत्पादन से आय बढ़ाई। अब पशुओं के गोबर से गैस बनाकर उसे सिलेंडरों में भरकर बेचने की तैयारी में जुटे हैं। इससे उनकी आय और बढ़ेगी। अभी वह जरूरतमंद लोगों को छोटे सिलेंडर में गैस भरकर मुफ्त में दे रहे हैं।
गाय और भैंस खरीदी
कविंद्र ने तीन वर्ष पूर्व नौ नवंबर 2014 को खेती में पैदा हुए अनाज को बेचकर जुटाए एक लाख रुपये से तीन पशु खरीदे। दूध बेचकर उन्होंने पशुओं की संख्या बढ़ा ली है। अब उनके पास आठ भैंसें व 10 गाय हैं। इनका दूध बेचकर वह प्रतिमाह 30 हजार की बचत करते हैं। गोबर का सदुपयोग करने के लिए उन्होंने तीन टन का गोबर गैस प्लांट बनाया। इससे रोजाना करीब 30 किलोग्राम गोबर गैस मिलती है।
10 टन का गोबर गैस प्लांट
इसका इस्तेमाल वह घर में खाना बनाने के लिए करते हैं। जरूरतमंद लोगों को छोटे सिलेंडर में कंप्रेशर से गैस भरकर मुफ्त में देते हैं, लेकिन अब वह मुफ्त में गैस को नहीं बांटेंगे। उन्होंने गैस को सिलेंडरों में भरकर बेचने की तैयारी कर ली है। इसके लिए 10 टन का गोबर गैस प्लांट बनवाने की भी तैयारी है। इससे रोजाना करीब 200 किलोग्राम गैस का उत्पादन होगा।
चार घंटे चलता है नलकूप
जिससे 14 बड़े एलपीजी सिलेंडर भरे जा सकेंगे। वह एक सिलेंडर सिर्फ 400 रुपये में भरेंगे। इसके लिए उन्होंने कंप्रेशर मशीन खरीद ली है। कविंद्र गोबर गैस से ही पंपसेट भी चलाते हैं। 25 किलोग्राम गैस से उनका दस हार्सपावर का इंजन चार घंटे चलता है। इससे वह अपने खेतों की सिंचाई कर लेते हैं। इंजन को चालू करते समय उन्हें थोड़ा डीजल खर्च करना पड़ता है।
कैसे भरते हैं सिलेंडर में गैस
गोबर गैस प्लांट से निकलने वाली गैस के पाइप को वह कंप्रेशन मशीन से जोड़ देते हैं। कंप्रेशर मशीन के दूसरे हिस्से से निकलने वाले पाइप को सिलेंडर से जोड़ देते हैं। इसके बाद मशीन को बिजली या बैटरी से चालू कर देते हैं। कुछ ही देर में छोटा गैस सिलेंडर भर जाता है।
story by हरेंद्र प्रताप सिंह, औरैया
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