इसके लिए दो पोतों को काम पर लगाया गया है जो पिंगर लोकेटर का इस्तेमाल कर 240 किलोमीटर के दायरे में विमान के डेटा रिकॉर्डर को खोजने में जुटे हैं.
ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों के मुताबिक़ 14 विमान और नौ पोत भी इस लापता विमान की खोज में जुटे हैं.
मलेशिया एयरलाइंस का यह विमान आठ मार्च को कुआलालंपुर से बीजिंग जाते समय लापता हो गया था. उसमें चालक दल के सदस्यों सहित 239 लोग सवार थे.
माना जा रहा है कि यह विमान दक्षिण हिंद महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, हालांकि विमान का मलबा अभी तक नहीं मिला है. ऑस्ट्रेलिया के पर्थ से खोज अभियान का समन्वय किया जा रहा है.
खोज अभियान
"संभवतया यह अब तक का सबसे कठिन तलाशी अभियान है"
-टोनी एबट, प्रधानमंत्री ऑस्ट्रेलिया
खोजबीन में लगी एजेंसियों के संयुक्त समन्वय केंद्र (जेएसीसी) के प्रमुख और खोज अभियान का नेतृत्व कर रहे एयर चीफ़ मार्शल (रिटायर्ड) एंगस हस्टन ने कहा कि दो पोत समुद्र में पानी के भीतर ब्लैक बॉक्स का पता लगाने में जुटे हैं.
ऑस्ट्रेलियाई नौसेना का पोत ओशियन शील्ड अमरीकी नौसेना के पिंगर लोकेटर का इस्तेमाल कर रहा है जबकि इसी तरह की सुविधाओं से युक्त एचएमएस इको भी खोज अभियान में लगा है.
उन्होंने कहा, ''ये दोनों पोत 240 किलोमीटर के एक इलाक़े में खोज करेंगे.''
विमान के ब्लैक बॉक्स में लगा पिंगर, उसमें लगी एक बैटरी से चलता है. यह हादसे के तीस दिन बाद अल्ट्रासोनिक ध्वनियों का उत्सर्जन बंद कर देता है. ऐसे में खोजकर्ताओं के पास उसकी तलाश के लिए केवल कुछ दिन ही हैं.
हस्टन ने कहा कि तलाश के लिए इस इलाक़े का चुनाव सैटेलाइट से मिले आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर किया गया है.
आंकड़ों का विश्लेषण
इस समुद्री इलाक़े का चुनाव विमान के पानी में गिरने की अधिकाधिक संभावना को देखते हुए किया गया है.
हस्टन ने कहा कि यह आंकड़ा और संशोधित होता रहेगा. लेकिन ताज़ा खोज अभियान अब तक उपलब्ध सबसे विश्वस्त आंकड़े के विश्लेषण के आधार पर किया गया है.
उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों के विश्लेषण और मूल्यांकन के आधार पर इस बात की कुछ उम्मीद जगी है कि हम उस इलाक़े में विमान का पता लगा पाएंगे.
जेएसीसी ने एक बयान में कहा है कि 10 सैन्य विमान, चार असैनिक विमान और नौ पोत शुक्रवार को खोज अभियान में शामिल होंगे.
बयान के मुताबिक़ शुक्रवार को अच्छे मौसम और 10 किलोमीटर की दृश्यता का अनुमान है.
खोज अभियान में लगे कर्मचारियों से शुक्रवार को मिलने के बाद ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबट ने कहा, '' संभवतया यह अब तक का सबसे कठिन खोज अभियान है.''
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