उत्तराखंड की पवित्र देव भूमि कई प्रसिद्ध तीर्थस्थल बने हुए हैं, जो भक्तों की आस्था के रंग से हिन्दू पवित्र स्थानों में सुसज्जित हैं| उत्तर के चार धाम जैसे बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री इसी राज्य में हैं| इसी स्थान पर पांडवों द्वारा स्थापित चमत्कारी लाखामंडल शिवलिंग भी स्थिति है। यह भूमि हिन्दू सनातन धर्म के बहुत से रहस्य अपने अन्दर समाए हुई है।
माणा गाँव में है व्यास पोथी
यही एक स्थान ऐसा है, जहां वेद व्यास जी ने गणेश जी से महाभारत लिखवाई थी। महाभारत को हिन्दू धर्मं का पंचम वेद बोला जाता है। यह स्थान व्यास पोथी नाम से जाना जाता है जो बद्रीनाथ धाम से 3 किमी की दूरी पर माणा गाँव में स्थित है।
अलकनंदा और सरस्वती के संगम पर है गणेश गुफा
यहां दो गुफाएं हैं जिनका नाम व्यास गुफा और गणेश गुफा है। मान्यता है कि व्यास जी ने इसी गुफा से मौखिक रूप से गणेश जी को महाभारत की कथा सुनाई थी और एकदंत गणेश ने अपने एक दांत से यह कथा लिखी। ये गुफाएं अलकनंदा और सरस्वती नदी के संगम तट पर मौजूद हैं।
ऐसे हुए महाभारत की रचना
जब वेद व्यास जी ने इस महाग्रंथ को रचित करने वाले थे तब उन्होंने देवी देवताओ में प्रथम पूज्य गणेश का स्मरण ही नहीं बल्कि यह महाकाव्य लिखने की विनती भी की। गणेश की एकदंत कथा में भी बताया गया है कि इस महाकाव्य की रचना के लिए गणेश जी अपने एक दांत का विच्छेद कर इसे अनवरत लिखा और व्यास जी बोलते गये।
बद्रीनाथ दर्शन के बाद इस गुफा का दर्शन जरुरी
ऐसी भी मान्यता है कि इसी पवित्र स्थान पर वेद व्यास जी बहुत से पुराण लिखे, जो आज धर्म का आईना माने जाते हैं। इस गुफा (व्यास पोथी) को देखने पर भी ऐसा ही प्रतीत होता है कि जैसे एक के ऊपर एक पुराण रखे गये हैं, जो एक दिव्य ज्ञान को प्रकाशित कर रहे हैं। बद्रीनाथ दर्शन के बाद इस पवित्र गुफा के दर्शन जरुर करने चाहिए।
-ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीपति त्रिपाठी
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