चतुर्थी को अधिक भीड़
मुंबई पुणे मार्ग पर बसे पाली नाम के गांव में बने अष्टविनायक मंदिर में हमेशा भक्तों की भीड़ रहती है। यहां विराजे गणेश जी का एक अद्भुत स्वरूप बल्लालेश्वर है। भगवान गणेश के आठ स्वरूपों को देखने का सौभाग्य प्राप्त होता है। यहां पर हर दिन भक्त अपनी मनोकामना के साथ भगवान गणेश के बल्लालेश्वर स्वरुप का दर्शन करने आते हैं, लेकिन चतुर्थी वाले दिन अधिक भीड़ होती है। महीने की हर चतुर्थी को भगवान को बड़ी संख्या में लोग पूरे विधिविधान से गणेश जी की पूजा करने आते हैं। बल्लालेश्वर की यह मूर्ति प्राचीन काल की है। भगवान बल्लालेश्वर ब्राम्हण की पोशाक में हैं और उनकी आंखों और नाभि में चमकदार हीरे जड़े हैं। यह मूर्ति 3 फिट ऊंची है।
बड़ी अनोखी कहानी
गणेश जी के इस बल्लालेश्वर स्वरुप के बारे में लोगों का कहना है कि यहां पर आने वाले हर भक्त की मुराद पूरी होती है। गणेश जी के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इनके यहां पर स्थापित होने के पीछे की भी एक बड़ी अनोखी कहानी है। कहा जाता है कि एक बल्ला नाम के भक्त की भक्ति ने भगवान गणेश जी का दिल जीत लिया था। भगवान उस पर इतने खुश हुए की वहीं एक मूर्ति में विराज मान हो गए। इसक बाद से ही वह पाल के राजा बल्लालेश्वर के नाम से फेमस हो गए। गण्ोशोत्सव के चलते इन दिनों मंदिर में दिन-रात भक्तों का भीड़ रहती है। लोग रात से ही सुबह भगवान के दर्शन के लिए लाइन में लग जाते हैं।
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