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LUCKNOW : मेरठ रैली में पीएम मोदी द्वारा दिए गये बयान पर बसपा सुप्रीमो ने कहा कि पीएम पद की गरिमा को ताक पर रखते हुए पीएम मोदी ने सपा-आरएलडी-बसपा गठबंधन को शराब बताकर इनसे दूर रहने की जो बात कही है वह इनकी गठबंधन से हो रही घबराहट के साथ इनकी जातिवादी एवं विकृत मानसिकता को भी दर्शाता है। व्यक्तिगत, जातिगत व सांप्रदायिक द्वेष व घृणा की राजनीति करना बीजेपी एंड कंपनी की शोभा है। जिसके लिए उनकी सरकार लगातार सत्ता का दुरुपयोग करती है। उन्होंने रैली में कहा कि मैं अपना हिसाब दूंगा लेकिन विदेश से काला धन वापस लाकर गरीबों को 15 से 20 लाख रुपये देने व किसानों की आय दोगुनी करने आदि का हिसाब-किताब दिए बगैर ही वे मैदान छोड़कर भाग गये। उन्होंने बुधवार को पीएम मोदी द्वारा राष्ट्र के नाम दिए गये संदेश पर भी कहा कि पिछले अनुभव यह साबित करते हैं कि बीजेपी के नेता नये-नये तरीकों से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने के माहिर व बदनाम रहे हैं। कल फिर बिना अनुमति के देश को संबोधित किया जबकि कोई इमरजेंसी नहीं थी। उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा पीएम के कल के भाषण की जांच के लिए कमेटी बनाने का स्वागत भी किया।
अखिलेश ने भी किया पलटवार
वहीं दूसरी ओर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पीएम के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि आज टेलीप्राम्प्टर ने यह पोल खोल दी कि सराब और शराब का अंतर वह लोग नहीं जानते जो नफरत के नशे को बढ़ावा देते हैं। सराब को मृगतृष्णा भी कहते हैं और यह वह धुंधला सा सपना हैं जिसकी आड़ में जो भाजपा पांच साल से धोखा दे रही है। अब जब नया चुनाव आ गया तो वह शब्दों में उलझाना चाहते हैं। यह अर्थ का अनर्थ करना संदर्भ से पलायन करने की साजिश हैं। विकास के नाम पर जीरो होते हुए भी भाजपा झूठ के बल पर हीरो बनने और फरेबी चकाचौंध दिखाने में माहिर है। जनता उनकी हकीकत से भलीभांति परिचित है और वह किसी झांसे में आनेवाली नहीं है। गठबंधन से प्रधानमंत्री किस कदर घबराये हुए हैं यह उनके हावभाव से स्पष्ट था। उनसे पूर्णतया स्तरहीन संबोधन की आशा नहीं की जा सकती है पर जब किसी को अपने पद की गरिमा का ही ख्याल न हो तो क्या कहा जा सकता है।
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