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LUCKNOW: लोकसभा चुनाव में यूं तो सभी सीटों पर हार-जीत को लेकर लोगों में उत्सुकता रहेगी पर मामला अगर आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे की राजधानी का हो तो मुकाबला रोमांचक होने की उम्मीदें बढऩा स्वाभाविक है। आपको यह जानकर शायद आश्चर्य हो कि लखनऊ लोकसभा सीट पर आजादी के बाद से तमाम ऐसे सियासी मुकाबले देखने को मिले जिसमें दिग्गज नेताओं को भी शिकस्त का सामना करना पड़ा। लखनऊ सीट ने कभी क्लोज मार्जिन से किसी उम्मीदवार को जीत का स्वाद नहीं चखने दिया, भले ही उसके सामने नामचीन नेताओं से लेकर फिल्म स्टार्स तक मुकाबले में रहे हो। कहना गलत न होगा कि नवाबों की नगरी उस प्रत्याशी को दिल खोलकर वोट देती है जिसे वह अपना प्रतिनिधि बनाकर संसद भेजना चाहती है।
रीता ने दी थी कड़ी टक्कर
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह एक बार फिर लखनऊ सीट से प्रत्याशी हैं। बीते चुनावों के नतीजों पर नजर डालें तो राजनाथ ने पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी को करीब दोगुने वोटों से हरा कर एक मिसाल भी कायम कर दी थी। इसी तरह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने भी अपने विरोधियों को पांच बार शिकस्त दी थी। वहीं अगर शुरुआती दौर की बात करें तो लखनऊ सीट पर पहले कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था। वर्ष 1957 और 1962 के लोकसभा चुनाव में अटल को लखनऊ से हार का सामना करना पड़ा तो तीन दशकों तक उन्होंने लखनऊ से चुनाव लडऩे का इरादा ही छोड़ दिया। वर्ष 1992 के चुनाव में अटल ने एक बार फिर लखनऊ से दावेदारी पेश की तो लगातार पांच चुनाव तक लखनऊ की जनता ने उनको संसद भेजा।
हुए कई बड़े उलटफेर
वर्ष 1951 से लेकर 1971 तक लखनऊ सीट पर कांगे्रस का ही कब्जा रहा। वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव में वर्तमान कांग्रेस सांसद शीला कौल को भारतीय लोक दल प्रत्याशी हेमवती नंदन बहुगुणा ने चुनौती दी तो अप्रत्याशित नतीजा सामने आया। बहुगुणा ने शीला कौल को न केवल तीन गुना वोटों के अंतर से हराया बल्कि शीला कौल को पिछले चुनाव में मिले करीब एक लाख वोट भी बहुगुणा के पाले में चले गये। हालांकि इसके बाद 1980 के लोकसभा चुनाव में शीला कौल ने फिर वापसी की और लगातार दो बार सांसद की कुर्सी पर काबिज रहीं। इसके बाद 1989 के चुनाव में जनता दल के मांधाता सिंह ने कांग्रेस के दाऊजी गुप्ता को हराया लेकिन उनकी लोकप्रियता अगले चुनाव में भाजपा के टिकट पर तीन दशक बाद लखनऊ से दोबारा चुनाव लडऩे आए अटल बिहारी बाजपेई के सामने नहीं टिक सकी। इस चुनाव में मांधाता सिंह को महज 22 हजार वोट ही मिले और वे चौथे स्थान पर आए।
25 साल बाद जीते लालजी टंडन
इसी तरह भाजपा के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन को भी लखनऊ से सांसद बनने के लिए 25 साल इंतजार करना पड़ा। वर्ष 1984 के चुनाव में लालजी टंडन को महज 36963 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर आए थे। अटल के अस्वस्थ होने पर जब उन्होंने वर्ष 2009 में लखनऊ से चुनाव लड़ा तो दो लाख से ज्यादा वोट पाकर संसद पहुंचे हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी। रीता जोशी को चुनाव में 1.63 लाख वोट मिले थे। यही वजह थी कि अगले चुनाव में कांग्रेस ने फिर रीता जोशी पर ही भरोसा जताते हुए उनको राजनाथ सिंह के मुकाबले में उतारा था। इस चुनाव में भी रीता जोशी के वोटों में डेढ़ गुना का इजाफा तो हुआ पर राजनाथ पांच लाख से ज्यादा वोट पाकर जीत गये।
58 प्रत्याशी मैदान में
लखनऊ सीट पर दो बार ऐसा भी हुआ जब 40 से ज्यादा प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। वर्ष 1984 के चुनाव में 40 उम्मीदवारों ने चुनावी समर में हिस्सा लिया था। इसी तरह 1996 में 58 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे हालांकि असली मुकाबला अटल बिहारी बाजपेई और सपा के राजबब्बर के बीच हुआ था।
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लखनऊ सीट फिल्म स्टार्स की पसंदीदा रही है। खासकर समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर कई बार फिल्म स्टार्स को टिकट दिया। बॉलीवुड से जुड़े राजबब्बर, नफीसा अली, मुजफ्फर अली, जावेद जाफरी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं। वर्तमान चुनाव में भी सपा-बसपा गठबंधन ने मशहूर फिल्म अभिनेता शत्रुघन सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को टिकट दिया है। सपा लखनऊ से संजय दत्त को भी टिकट दे चुकी है।
वर्ष | जीते | वोट | हारे | वोट |
1951 | विजय लक्ष्मी पंडित (कांग्रेस) | 102764 | हरगोविंद दयाल (बीजेएस) | 35112 |
1957 | पीबी बनर्जी (कांग्रेस) | 69519 | अटल बिहारी बाजपेई (जनसंघ) | 57034 |
1962 | बीके धवन (कांग्रेस) | 116637 | अटल बिहारी (जनसंघ) | 86620 |
1967 | एएन मल (निर्दलीय) | 92535 | वीआर मोहन (कांग्रेस) | 71563 |
1971 | शीला कौल (कांग्रेस) | 171019 | पीडी कपूर (जनसंघ) | 51818 |
1977 | हेमवती नंदन बहुगुणा (बीएलडी) | 242362 | शीला कौल (कांग्रेस) | 77017 |
1980 | शीला कौल (कांग्रेस) | 123231 | महमूद बट (जेएनपी) | 92849 |
1984 | शीला कौल (कांग्रेस) | 169260 | मो. यूनुस सलीम (एलकेडी) | 47140 |
1989 | मांधाता सिंह (जनता दल) | 110433 | दाऊजी (कांग्रेस) | 95137 |
1991 | अटल बिहारी बाजपेई (बीजेपी) | 194886 | रंजीत सिंह (कांग्रेस) | 77583 |
1996 | अटल बिहारी बाजपेई (बीजेपी) | 394865 | राजबब्बर (सपा) | 276194 |
1998 | अटल बिहारी बाजपेई (बीजेपी) | 431738 | मुजफ्फर अली (सपा) | 215475 |
1999 | अटल बिहारी बाजपेई (बीजेपी) | 362709 | डॉ. करन सिंह (कांग्रेस) | 239085 |
2004 | अटल बिहारी बाजपेई (बीजेपी) | 324714 | मधु गुप्ता (सपा) | 106337 |
2009 | लालजी टंडन (बीजेपी) | 204028 | रीता बहुगुणा जोशी (कांग्रेस) | 163127 |
2014 | जनाथ सिंह (बीजेपी) | 559033 | रीता बहुगुणा जोशी (कांग्रेस) | 2878518 |