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LUCKNOW : कांग्रेस के किसी भी नेता ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी सीट हार सकते हैं। खासकर लंबे अर्से से रायबरेली और अमेठी में प्रियंका गांधी की आमदरफ्त और चुनाव के दौरान अचानक उनकी सक्रिय राजनीति में इंट्री के बावजूद अमेठी की जनता ने अपने 'भैया' राहुल गांधी को नकार कर अपनी नई 'दीदी' स्मृति ईरानी को जीत का ताज पहना दिया। देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने के साथ दशकों तक सरकार बनाने वाली कांग्रेस के लिए यह चुनाव सबसे बुरा दौर बन गया है। सियासी नजरिए से देखा जाए तो यूपी में कांग्रेस अब वेंटिलेटर पर आ गयी है और उसको वापसी करने में लंबा वक्त लग सकता है। शायद यही वजह है कि स्मृति ईरानी ने अपनी जीत के बाद एक लाइन का ट्वीट किया कि 'कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता...'
दोनों प्रभारी फेल
कांग्रेस ने यूपी में खुद को दोबारा स्थापित करने के लिए प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री के साथ उनको पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्वी यूपी का प्रभारी भी बनाया था। इसके अलावा दूसरे राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी पश्चिमी यूपी का प्रभारी बनाया गया था क्योंकि उन्होंने मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की वापसी की व्यूह रचना तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। इसके बावजूद चुनाव नतीजे आने के बाद पार्टी के दोनों वरिष्ठ पदाधिकारी पूरी तरह फेल साबित हो गये हैं। ज्योतिरादित्य को चुनाव के दौरान ही अचानक पार्टी हाईकमान ने मध्य प्रदेश की गुना सीट से चुनाव लडऩे का आदेश दिया। इससे ज्योतिरादित्य की यूपी के चुनाव में सक्रियता कम हो गयी पर वे गुना सीट पर अपनी जीत भी दर्ज नहीं करा सके। वहीं यूपी के तमाम शहरों में अपने रोड शो, प्रयागराज से वाराणसी तक गंगा यात्रा करने वाली प्रियंका गांधी का भी जनता से नजदीकियां बढ़ाने का कोई भी चुनावी हथकंडा काम नहीं आया और कांग्रेस प्रत्याशियों को पूरी तरह नकार दिया गया।
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इन बड़े नेताओं को मिली शिकस्त
यहां तक कि अपनी सीट बदले वाले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर भी फतेहपुर सीकरी सीट से अपनी जीत दर्ज नहीं करा सके। जिद करके लखनऊ के बजाय धौरहरा से चुनाव मैदान में उतरे जितिन प्रसाद भी पार्टी की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। इसके अलावा निर्मल खत्री, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, सलमान खुर्शीद, सावित्री बाई फुले, अशोक दोहरे, इमरान मसूद, इमरान प्रतापगढ़ी, बंसी लाल पहाडिय़ा, प्रीता हरित, सलीम इकबाल शेरवानी, जफर अली नकवी, कैसर जहां, अनु टंडन, प्रमोद कृष्णम, डॉ। संजय सिंह, राजकुमारी रत्ना सिंह, श्रीप्रकाश जायसवाल, राजाराम पाल, बृजलाल खबरी, तनुज पुनिया, कृष्णा पटेल, राजकिशोर सिंह, भालचंद्र यादव, सुप्रिया श्रीनेत, आरपीएन सिंह, राजेश मिश्रा, शिवकन्या कुशवाहा, अजय राय और ललितेश पति त्रिपाठी को हार का सामना करना पड़ा है।