नई दिल्ली (आईएएनएस)। Lockdown Diaries : कुछ समय पहले तक लोग सिनेमा हॉल में मनोरंजन कार्यक्रमों के लिए जाते थे पर अब तो ये पाॅसिबल नहीं है। वहीं अब सभी लोग अपने- अपने घरों में कैद हैं। बताया जा रहा है कि लाॅकडाउन के बाद जिंदगी का स्तर ऊपर उठेगा। महामारी के बाद लाॅन्ग फार्मैट पर चलने वाले छोटे टीवी शो पर काफी प्रभाव पड़ेगा। कोरोना के बाद शायद इस तरह की चीजें कोई देखना भी न पसंद करे। इस महामारी के बूरे दौर में बिजनेस और इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री पर सबसे अधिक असर पड़ा है। महामारी के बाद लोगों का इंटरटेनमेंट को लेकर नजरिया ही बदल जाएगा।

टीवी और ओटीटी का क्रेज बढ़ा

प्रोड्यूसर और डायरेक्टर विवेक बुडाकोटी ने कहा, 'महामारी के बाद कलेक्टिव पब्लिक एक्सपीरियंस को कलेक्टिव फैमिली व्यूविंग रिप्लेस कर देगी।' ब्राडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल के मुताबिक कोरोना से पहले टीवी देखने में 40 प्रतिशत की बढ़त दर्ज हुई थी पर अब ये बढ़ कर 1.24 ट्रिलियन मिनट हो गई है। बताया गया कि हिंदी स्पीकिंग मार्केट भी अपने ऑल टाइम हाई लेवल 8.5 बिलियन पर रहे। ऐसा रामायण और महाभारत के रिपीट टेलिकास्ट की वजह से हुआ है। बुडाकोटी ने बताया, 'ये ट्रेन्ड इस वजह से हुआ है क्योंकि सिनेमा हाल्स बंद किए जा चुके हैं। वेब प्लेटफार्म और टीवी का क्रेज लाॅकडाउन की वजह से बढ़ा है।'

महामारी के बाद भी रहेगा टीवी शोज का क्रेज

एक्टर शरद मल्होत्रा को लगता है, 'लाॅकडाउन के बाद भी जब सिच्युएशन नाॅर्मल हो जाएगी तो भी लोग घर से बाहर निकलने में दो बार सोचेंगे। लंबे समय तक चलने वाले शोज की डिमांड पहले से ज्यादा बढ़ जाएगी।' एक्ट्रेस वाहबिज डोराबजी के मुताबिक एक पाॅसिबिलिटी है कि लंबे शोज का ट्रेंड फिर से होगा क्योंकि महामारी लोगों के दिमाग में जा चुकी होगी। महामारी खत्म होने के बाद भी लोगों के दिमाग को सेटल होने में समय लगेगा। बता दें कि लंबे समय तक चलने वाले शोज में 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा', 'कुमकुम भाग्य', 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' शामिल है।

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