मुखर्जी की किताब 'द एम्परर ऑफ़ ऑल मेले़डीज़' में इस बीमारी के इतिहास और डॉक्टरों द्वारा इसके ख़िलाफ़ किए जा रहे स्ट्रगल का वर्णन किया गया है. भारत में जन्मे सिद्धार्थ मॆडिकल साइंस पढ़ाते हैं और कोलंबिया यूनीवर्सिटी मेडिकल सेंटर में कैंसर के डॉक्टर हैं.
रोड्स स्कॉलर रहे मुखर्जी को साइंस राइटिंग विज्ञान लेखन में भी कई प्राइज मिले हैं. पुलित्ज़र प्राइज देते हुए कहा गया है कि द एम्परर ऑफ ऑल मेलेडीज़ कैंसर के बारे में कमाल की किताब है. आलोचकों द्वारा काफ़ी पसंद की गई इस किताब को ‘एक साहित्यिक थ्रिलर बताया गया है जिसमें कैंसर को नायक का दर्जा दिया गया है.’
इस पुरुस्कार को जीतने पर मुखर्जी को दस हज़ार डॉलर मिलेंगे. इस बीमारी के लंबे इतिहास और और इसको जीतने के संघर्ष की दास्तान के साथ साथ इस किताब मे कैंसर के इलाज की भावी तस्वीर भी पेश की गई है.
पुलित्ज़र की वेबसाइट पर इस पुस्तक के बारे में दी गई जानकारी में कहा गया है कि यह किताब उन लोगों के बारे में है जिन्होंने इस ख़तरनाक बीमारी का बहुत बहादुरी पूर्ण ढ़ंग से सामना किया है और जिसने इस ख़तरनाक बीमारी के बारे में हमारी समझ को काफ़ी हद तक बढ़ाया है.
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