वास्तव में हम अपनी पूरी क्षमता से अपने जीवन को जीते ही नहीं हैं क्योंकि हमें पता ही नहीं है कि हमारी पूरी क्षमता है क्या। हमारे दिमाग में तो बस इस बात को गहराई से बैठा दिया गया है कि जीवन में कुछ पैसे कमा लेना, घर बना लेना, कुछ सफलताएं हासिल कर लेना, दूसरों का साथ पा लेना और बच्चों व पोते-पोतियों से भरा-पूरा परिवार ही हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ है। यही कारण है कि हम सारी जिंदगी इन्हीं चीजों को हासिल करने में लगे रहते हैं और अपना सारा समय इसी को देते हैं। बहुत ही कम लोग अपनी वास्तविक क्षमता के बारे में सोचते हैं कि इस पृथ्वी पर वे कौन हैं।

अपनी पूरी क्षमता से जीने के लिए हमें पहले यह समझना होगा कि हमारे पास असीम क्षमता भी है। हमें अपने भीतर गहराई से झांकना होगा और खुद से यह सवाल पूछना होगा कि क्या यह नौकरी, यह करियर, यह बैंक खाता, ये रिश्ते ही वास्तव में मेरे जीवन का कुल सार हैं? क्या यही मेरे जीवन का मतलब है? आखिर मेरे जीवन का आशय क्या है? हमारे जीवन में आध्यात्मिकता की यही भूमिका है। यह हमें उस सच्चाई की गहराई से परिचित कराती है कि हम कौन हैं। जब हम आध्यात्मिक रूप से गहराई से जुड़ते हैं, तब हमें इस बात का अहसास होता है कि हम कौन हैं। हम अपने होने के अनंत, दिव्य और पूर्ण सच को समझ पाते हैं और फिर अपना जीवन जीते हैं। 

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अगर हम केवल एक शरीर के रूप में जिएंगे, तो कभी बैंक खातों, परिवार व समाज में अपनी भूमिका और रिश्तों से ऊपर नहीं उठ पाएंगे। हमारी सीमाएं सीमित हो जाएंगी और हम भौतिक जीवन के इर्द-गिर्द ही घूमते रह जाएंगे। जबकि अगर हम आत्मा, रूह, चेतना और दिव्यता के रूप में अपना जीवन जीते हैं, तो हमारा विस्तार निरंतर होता रहेगा और हम तब तक विस्तार करते रहेंगे, जब तक कि हमें उसका अनुभव हर दिन हर पल नहीं होता। इस प्रकार जीवन जीने से हम विनम्र बनेंगे और दूसरों के जीवन में भी प्रकाश फैलाने का काम कर पाएंगे। और यही हमारी सर्वोच्च क्षमता भी है। हमें अपनी इसी क्षमता को पहचानने की जरूरत है। ईश्वर ने हम में से प्रत्येक को ऐसी असीम और अनंत क्षमता प्रदान की है।

साध्वी भगवती सरस्वती



अपनी पूरी क्षमता से जीने के लिए हमें पहले यह समझना होगा कि हमारे पास असीम क्षमता भी है। हमें अपने भीतर गहराई से झांकना होगा और खुद से यह सवाल पूछना होगा कि क्या यह नौकरी, यह करियर, यह बैंक खाता, ये रिश्ते ही वास्तव में मेरे जीवन का कुल सार हैं?

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