Zero Movie Review : जीरो के रोल में हीरो आया, ऑडियंस को बउवा बनाया
कहानी : बउवा जो कद में छोटा है पर फिर भी शाहरुख खान है। ये उसी की अनबिलिवेबल कहानी है। समीक्षा :
फ़िल्म के शुरवाती हिस्से में जहां बउवा को अपनी फिसिकल डिसेबिलिटी के कारण जीवन मे भुगतता है वो हिस्सा बड़ा नेचुरल सा है पर जैसे जैसे फ़िल्म आगे बढ़ती है वैसे वैसे बउवा कहीं गायब हो जाता है और बाहर आ जाते हैं शाहरुख खान। ये भाईसाहब कुछ भी कर सकते है, कुछ भी मतलब कुछ भी। राइटिंग के लेवल पर राइटर्स तीन अमेजिंग किरदार क्रिएट करते हैं, सही मायनों में इन किरदारों को अगर एक सधी हुई बैलेंस्ड कहानी में डाला जाता तो बात ही कुछ और होती, पर इनको बढ़ने का मौका ही नहीं दिया जाता खासकर अनुष्का और कटरीना के किरदारों का तो जैसे कोई खास एहमियत रह ही नहीं जाती। वो किरदार इस फ़िल्म में शाहरुख रूपी बउवा की ट्रॉफी बन कर रह जाते हैं। फ़िल्म मिसोजनिस्ट है और फ़िल्म का प्लाट उतना ही झोलदार है जितना शाहरुख खान की फैन में था। फ़िल्म इधर से उधर हेरोइज़म के भंवर में गोते खाती रहती है। एक और बड़ी समस्या फ़िल्म का बेहद ऑब्वियस वीएफएक्स है। शाहरुखीयना बउवा कई जगह पर काफी फ़र्ज़ी लगता है। फ़िल्म के डायलॉग अच्छे हैं, पर आनंद की पिछली फिल्म्स की तरह बहुत अच्छे नहीं हैं। आनंद का डायरेक्शन वन डाईमेंशनल है।
कुलमिलाकर ये एक बहुत साधारण फ़िल्म है।आनंद एल राय की खासबात हैं उनके सह किरदार जो इस फ़िल्म में शाहरुख को वजन देने के चक्कर मे खूब साइडलाइन किये गए हैं, यहां कोई पप्पी भैया नहीं है और न ही कोई राजा अवस्थी, यहां बउवा भी नहीं है यहां बस शाहरुख खान हैं। मेरी तरह बहुत आशा लेकर मत जाइयेगा। शाहरुख के परम भक्त हो तो फ़िल्म देखने के बाद आप मानेंगे कि शाहरुख ने इससे बेहतर परफॉर्म ऑलरेडी किया हुआ है, चाहे वो चक दे इंडिया, माय नेम इज खान हो या हो फैन। वर्डिक्ट : डिसअपॉइंटिंग रेटिंग : 1.5 स्टारReview by : Yohaann BhaargavaTwitter : @yohaannn'जीरो' का फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने वोलों को शाहरुख खान देंगे ये नायाब तोहफा'मी टू' पर डेब्यू गर्ल सारा अली खान ने भी तोड़ी चुप्पी, कही दी ये बात