2011 वर्ल्ड कप के दौरान युवराज सिंह की मैदान में जा सकती थी जान
कानपुर। युवराज सिंह ने 2011 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की जीत में अहम योगदान निभाया था। एमएस धोनी की कप्तानी में भारत ने 28 साल बाद वर्ल्ड कप जीता था। उस वक्त मैन ऑफ द टूर्नामेंट सिक्सर किंग युवराज सिंह थे। युवी ने पूरे वर्ल्ड कप में गेंद और बल्ले से शानदार प्रदर्शन किया था। हालांकि भारत के इस जाबांज खिलाड़ी की सफलता के पीछे कई राज छुपे थे।
2011 विश्व कप के दौरान युवराज सिंह कैंसर से जूझ रहे थे। हालांकि युवी ने किसी को इस बात का पता नहीं चलने दिया। वह एक योद्घा की तरह मैदान में उतरे और टीम को विश्व चैंपियन बनाकर ही दम लिया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरा क्वाॅर्टर फाइनल खेलने से पहले युवी को डाॅक्टरों ने सलाह दी थी वह अब न खेंले, नहीं तो यह उनकी सेहत के लिए ठीक न होगा। मगर युवी ने किसी की बात नहीं मानी। युवराज न सिर्फ मैदान में उतरे बल्कि भारत की जीत के हीरो भी रहे। युवी ने 57 रन की मैच जिताउ पारी खेली थी। मैच जीतने के बाद मैदान में बैठकर शेर की तरह युवी का दहाड़ना साफ जाहिर कर रहा था कि वह एक जाबांज खिलाड़ी हैं।
37 साल के बाएं हाथ के बल्लेबाज युवराज सिंह ने 2000 में इंटरनेशनल करियर की शुरुआत की थी। करीब 15 साल के इंटरनेशनल करियर में युवी ने 304 वनडे खेले जिसमें 36.55 की औसत से 8701 रन बनाए। इस दौरान युवराज के बल्ले से 14 शतक और 52 अर्धशतक निकले। वहीं टेस्ट की बात करें तो युवराज को सिर्फ 40 मैच खेलने को मिले जिसमें मात्र 1900 रन बनाए। टेस्ट में युवराज के नाम 3 शतक हैं।