क्रोध में बोले गए शब्दों से दूसरा हो सकता है आहत, पछतावे से बचने के लिए यह है उपाय
एक बार एक किसान ने अपने पड़ोसी को गुस्से में भला-बुरा कह दिया। बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया। उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा। संत ने किसान से कहा, तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो और उन्हें शहर के बीचो-बीच जाकर रख दो। यह बात किसान को कुछ अजीब सी लगी। किसान ने सोचा कि संत ने कहा है तो जरूर कोई रहस्य होगा। उसने वैसा ही किया।
ऐसा करने के बाद वह संत के पास पहुंच गया। संत ने पहले उस किसान को थोड़ी देर बिठाया और फिर कहा, अब जाओ और जो पंख तुमने शहर के बीचो बीच रखा था, उन्हें इकट्ठा कर वापस ले आओ। किसान वापस गया, पर तब तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ चुके थे। किसान खाली हाथ संत के पास पहुंचा और पूरी बात बताई। संत किसान की बातों को सुन कर मुस्कुरा दिए।
उन्होंने किसान को समझाते हुए कहा कि ठीक ऐसा ही तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है। तुम आसानी से इन्हें अपने मुख से निकाल तो सकते हो, पर चाह कर भी वापस नहीं ले सकते। वह वापस आ ही नहीं सकता।कही गई बात वापस नहीं आतीबातचीत का पहला नियम ही यही है कि अगर हम हमेशा मीठा, सकारात्मक और सच बोलेंगे तो हमें कभी भी यह नहीं सोचना पड़ेगा कि हम क्या बोल रहे हैं। जब भी हम इन तीन चीजों को ध्यान में रख कर कोई बात बोलेंगे, तो हमारी बातों से सामने वाला आहत नहीं हो सकता। कोशिश यही करें कि जब गुस्सा आए तो कुछ बोलें ही नहीं, क्योंकि उस वक्त हमारी वाणी को हम नहीं बल्कि हमारा क्रोध नियंत्रित कर रहा होता है, जबकि वाणी पर नियंत्रण अकेले आपका होना चाहिए।क्रोध क्या है? इस पर काबू कैसे पाएं? जानते हैं श्री श्री रविशंकर से
अपने अंदर के उन्माद को ऐसे करें नियंत्रित, नहीं बिगड़ेंगे काम