क्या आपके वॉशिंग मशीन में भी पत्थर है?
यह नया उपकरण एक प्लास्टिक कंटेनर है जिसमें मशीन लगाने के बाद पानी भर दिया जाता है।
नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी की टीम का दावा है कि ये उपाय, मशीन को लाना ले जाना आसान और सस्ता बना देगा।कंक्रीट की जगह प्लास्टिक कंटेनर लगाने से मशीन का वज़न एक तिहाई तक कम हो जाता है।अगर ये बदलाव मानक बन गए तो वॉशिंग मशीन को ढोने वाले ट्रकों का वज़न कम हो जाएगा जिससे कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा।शोधकर्ताओं के अनुसार ब्रिटेन में हर साल 35 लाख वॉशिंग मशीन की बिक्री होती है।मशीन में क्या नया है?
उनका दावा है कि नई मशीन आने से हर साल 44,625 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।
ये तरीक़ा इज़ाद किया है प्रोडक्ट डिज़ाइन कंपनी टोची टेक लिमिटेड ने जोकि यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर उपकरणों को बनाने के आसान तरीक़े ढूंढने का काम करती है।
नई तकनीक से बने मशीन का परीक्षण इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे 22 साल के एक अंडरग्रेजुएट छात्र डिलन हेंडरसन ने किया।डिलन ने बीबीसी को बताया, "सभी कहते हैं यह आइडिया पहले आना चाहिए था, लेकिन कोई इसपर विश्वास नहीं करता। लेकिन मैं वादा करता हूं कि यह बेहतर काम करेगा।"
उन्होंने बताया कि एक औसत क़ीमत वाली वॉशिंग मशीन में दो पत्थर जैसी सामग्री होती है। एक मशीन के निचले हिस्से में दूसरी ऊपरी हिस्से में।परीक्षण के दौरान उन्होंने ऊपर के पत्थर वाले हिस्से को पानी से भरे प्लास्टिक कंटेनर से बदल दिया और फिर वॉशिंग मशीन का वज़न बहुत कम रह गया।अगर आने वाले समय में ये नई तकनीक वाली मशीन बाज़ार में उतरती है तो उससे न केवल वॉशिंग मशीन का वज़न कम हो जाएगा बल्कि उसे एक जगह से दूसरे जगह ले जाने पर कार्बन का उत्सर्जन भी कम होगा जो कि ग्लोबल वॉर्मिंग रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम माना जा सकता है।गरीब प्रेमी से शादी के लिए लड़की ने ठुकराई अरबों की दौलतकरेंगे इस चायवाले के पास नौकरी? जो देता है सोने की अंगूठी और कराता है 5 स्टार होटल में डिनरInteresting News inextlive from Interesting News Desk