एक के बाद एक लोग अपनी फ़ेसबुक वॉल पर अपने मरने के दिन की घोषणा कर रहे हैं.


एक ऐप के ज़रिए लोग बता रहे हैं कि वो किस दिन, किस तरह से मरेंगे, मसलन हवाई जहाज़ के क्रैश में या बीमारी से. यह ऐप आपको पहले ही सूचना दे देता है कि ये मज़ाक है, उससे ज़्यादा कुछ नहीं. लेकिन मौत के दीवानों को यह भा गया है.यह अपने किस्म का अकेला ऐप या सर्विस नहीं. इस तरह के सैकड़ों हैं. एक वेबसाइट है डेथ-क्लॉक. यह भी आपके मरने का दिन बताती है लेकिन आपका वज़न आपके नशे की आदतें पूछकर.इसी से मिलता-जुलता है डेथ टाइमर. एक तीसरा है फ़ाइंड योर फ़ेट.कॉम.लोग अपनी मौत का दिन जानने के लिए कितने उत्सुक हैं, अगर यह जानना हो तो गूगल करें डेथ प्रिडिक्शन पाएंगे चार करोड़ 22 लाख लिंक्स केवल 0.31 सेकंड्स में.पर सवाल यह है कि लोगों में मौत को लेकर पागलपन क्यों है?
दिल्ली में मनोचिकित्सक अरुणा ब्रूटा कहती हैं कि यह मज़े के लिए तो है ही, साथ में यह मनुष्य के आदिम अनजाने डर को भी पोसता है. लोग जिस कारण से ज्योतिषियों के पास जाते हैं, उसी कारण से ऐसे ऐप्स वेबसाइट्स के पास भी जाते हैं.


रहा सवाल अपनी मौत के फ़ेसबुक पर विज्ञापन का, तो ब्रूटा के हिसाब से फ़ेसबुक हर आदमी का नया समाज है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh