अराफ़ात को 'हो सकता है ज़हर दिया गया हो'
अराफ़ात की आधिकारिक मेडिकल रिपोर्ट के हिसाब से साल 2004 में उनकी मौत ख़ून में हुई किसी गड़बड़ी की वजह से हुए दिल के दौरे की वजह से हुई थी.हालांकि उनकी हत्या किए जाने के दावों के चलते पिछले साल अराफ़ात के शव को खोद कर निकाला गया था.स्विस रिपोर्ट के अनुसार उनके शरीर पर किए गए टेस्ट के नतीज पोलोनियम की बेहद अधिक मात्रा दिखाते हैं जिससे ज़हर दिए जाने संबंधी दावों को बल मिलता है.बहुत से फ़लस्तीनी लोगों का मानना है कि इस्रायल ने अराफ़ात को ज़हर दे दिया. जबकि कुछ अन्य लोग यह भी कहते हैं कि उन्हें कैंसर या एड्स जैसी बीमारी थी.हालांकि इस्रायल ने इसमें अपना हाथ होने से इंकार किया है.इस्रायली विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा है कि स्विस रिपोर्ट विज्ञान से ज़्यादा एक धारावाहिक की कहानी है.क़मज़ोर पहलू
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ उन्होने किसी पर शक़ ज़ाहिर नहीं किया और माना कि उनके पति की ज़िंदगी में कई दुश्मन थे.यासिर अराफ़ात ने 35 बरस तक फ़लस्तीन मुक्ति संगठन की कमान संभाली और 1996 में फ़लस्तीनी प्राधिकरण के पहले राष्ट्रपति बने.अक्तूबर 2004 में वे बहुत ज़्यादा बीमार पड़ गए. दो हफ़्ते बाद उन्हें फ्रांस के पैरिस स्थित सैनिक अस्पताल ले जाया गया जहां 11 नवंबर 2004 को उनकी मौत हो गई.अल जज़ीरा चैनल की एक डॉक्यूमेंट्री पर काम कर रहे वैज्ञानिकों को अराफ़ात के नमूनों में पोलोनियम 210 के अंश मिलने के बाद फ्रांस ने अगस्त 2012 में हत्या के मामले की जांच शुरू की.हालांकि अराफ़ात की मौत के समय उनकी पत्नी ने पोस्टमॉर्टम का विरोध किया था लेकिन उन्होने फ़लस्तीनी प्राधिकरण से कहा कि सच का पता लगाने के लिए उनके शव को खोद कर निकालने दिया जाए जिसके बाद नवंबर 2012 में उनके अवशेष निकाले गए थे.