दुनिया के 'ना मरने वाले जीव' के राज
शोधकर्ताओं ने टार्डिग्रेड की दो प्रजातियों का डीएनए डिकोड किया और उन जीन का पता लगाया जिनकी बदौलत वह ख़तरनाक सूखे के बाद भी अपनी जान बचाए रखता है और फिर दोबारा ज़िंदा हो उठता है।
यह अध्ययन पीएलओएस बायोलजी नाम के जर्नल में छपा है।इस नए शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि उनकी इस असाधारण क़ाबिलियत की जेनेटिक वजह है। सूखे की स्थिति में टार्डिग्रेड के कुछ ऐसे जीन सक्रिय हो जाते हैं जो उनकी कोशिकाओं में पानी की जगह ले लेते हैं। फिर वे इसी तरह रहते हैं और कुछ महीनों या सालों बाद जब दोबारा पानी उपलब्ध होता है तो अपनी कोशिकाओं को वो दोबारा पानी से भर लेते हैं।
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शोधकर्ताओं का कहना है कि इस जन्मजात क्षमता को समझने से इंसानों को फायदा हो सकता है। मसलन, लाइव टीकों को दुनिया भर में बिना रेफ्रिजरेशन के स्टोर किया जा सकता है।
शोध के सह-लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग में प्रोफेसर मार्क ब्लैक्स्टर कहते हैं, 'अद्भुत क्षमताओं वाले टार्डिग्रेड्स हमें असल दुनिया की कुछ समस्याओं से निपटने के तरीके सुझा सकते हैं, मसलन टीकों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना।'
इन डीएनए को डिकोड करके शोधकर्ता उस पुराने सवाल पर भी आगे बढ़े हैं कि क्या टार्डिग्रेड कीटों और मकड़ियों के करीब हैं या उनका गोलकृमियों से कोई रिश्ता है।फिल्मी सॉन्ग ही नहीं रियल लाइफ में भी लोगों को छूने से लगता है झटका, कारण जान रह जाएंगे हैरानInternational News inextlive from World News Desk