World No Tobacco Day 2022: भारत में हर साल तंबाकू कचरा साफ करने में खर्च हो जाते हैं अरबों रुपये, जो सिगरेट नहीं पीते, उन्हें भी देना पड़ता है खर्चा
जिनेवा (एएनआई)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने खुलासा किया है कि तंबाकू पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों को काफी नुकसान पहुंचा रहा है। हर साल तंबाकू के चलते दुनिया में 80 लाख लोगों की जान जाती है। यही नहीं तंबाकू या सिगरेट बनाने के लिए हर साला 600 मिलियन पेड़ काटे जाते हैं। साल भर में सिगरेट बनाने के लिए 22 बिलियन टन पानी और 84 मिलियन टन CO2 खर्च होता है।
कहां ज्यादा उगाया जाता है तंबाकूज्यादातर तंबाकू निम्न और मध्यम आय वाले देशों में उगाया जाता है, जहां क्षेत्र के लिए भोजन का उत्पादन करने के लिए अक्सर पानी और खेत की सख्त जरूरत होती है। इसके बजाय, उनका उपयोग घातक तंबाकू के पौधे उगाने के लिए किया जा रहा है, जबकि अधिक से अधिक भूमि को जंगलों से साफ किया जा रहा है।
तंबाकू में होते हैं 7000 से अधिक जहरीले रसायन
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट "Tobacco: Poisoning our planet इस बात पर प्रकाश डालती है कि तंबाकू के प्रोडक्शन, प्रोसेस और ट्रांसपोर्टेशन से जो कार्बन उत्सर्जन हो रहा है वह साल भर चलने वाली कमर्शियल फ्लाइट द्वारा उत्पादित CO2 के पांचवें हिस्से के बराबर है, जो आगे ग्लोबल वार्मिंग में योगदान दे सकता है। डब्ल्यूएचओ में स्वास्थ्य संवर्धन निदेशक डॉ रुएडिगर क्रेच कहते हैं, "तंबाकू उत्पाद ग्रह पर सबसे अधिक कूड़ा-करकट वाली वस्तु है, जिसमें 7000 से अधिक जहरीले रसायन होते हैं, जो हमारे पर्यावरण में फेंक दिए जाते हैं। मोटे तौर पर 4.5 ट्रिलियन सिगरेट फिल्टर हमारे महासागरों, नदियों, शहर के फुटपाथों, पार्कों, मिट्टी और समुद्र तटों को हर साल प्रदूषित करते हैं।"
सिगरेट, धुंआ रहित तंबाकू और ई-सिगरेट जैसे उत्पाद भी प्लास्टिक प्रदूषण को बढ़ाते हैं। सिगरेट फिल्टर में माइक्रोप्लास्टिक होते हैं और यह दुनिया भर में प्लास्टिक प्रदूषण का दूसरा सबसे बड़ा रूप है। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि फिल्टर का कोई सिद्ध स्वास्थ्य लाभ है। डब्ल्यूएचओ ने नीति-निर्माताओं से सिगरेट फिल्टर, सिंगल यूज प्लास्टिक के रूप में व्यवहार करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए सिगरेट फिल्टर पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करने का आह्वान किया।
तंबाकू कचरे को साफ करने में खर्च होते अरबों रुपये
तंबाकू उत्पादों को बनाने में तो पर्यावरण को नुकसान होता ही है बल्कि तंबाकू से फैले कचरे को साफ करने के लिए काफी मोटा पैसा खर्च हो जाता है और ये रकम हमारे और आपकी जेब से जाती है। इसका सीधा असर करदाताओं पर पड़ता है। हर साल, तंबाकू कचरे को साफ करने में चीन को लगभग 2.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर और भारत को लगभग 766 मिलियन अमेरिकी डॉलर का खर्च आता है। ब्राजील और जर्मनी की लागत 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
फ्रांस और स्पेन जैसे देशों और संयुक्त राज्य अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया जैसे शहरों ने एक स्टैंड लिया है। प्रदूषक भुगतान सिद्धांत का पालन करते हुए, उन्होंने "उत्पादक जिम्मेदारी कानून" को सफलतापूर्वक लागू किया है जो तंबाकू उद्योग को उसके द्वारा पैदा होने वाले प्रदूषण को साफ करने के लिए जिम्मेदार बनाता है।