वर्ल्‍ड हंगर डे यानि 28 मई को दैनिक जागरण आई नेक्‍स्‍ट अखबार ने दो बातों की पड़ताल की। एक भारत में व्‍याप्‍त भुखमरी और दूसरी यहां होने वाली भोजन की बरबादी की। इस रिसर्च में जो आंकड़े सामने आए वो हम आपको हैरान ही नहीं परेशान भी कर देंगे। एक बार इस विस्‍तृत रिपोर्ट को पढ़ने के बाद हम सभी में कुछ न कुछ अच्‍छा बदलाव जरूर आएगा ऐसा हमारा विश्‍वास है।

शादी-पार्टियों में हम अक्सर अपनी प्लेट को डिफरेंट फूड आईटम से भर लेते हैं। कई बार आधा भी नहीं खा पाते हैं बचा हुआ डस्टबिन में डाल देते हैं। दिमाग में आता है, हमारा कौन सा पैसा लगा है। होने दो बर्बाद। कई बाद हम रेस्टोरेंट या होटल में जाते हैं। जरूरत से ज्यादा आर्डर कर देते हैं। नहीं खा पाते तो छोड़ के चले आते हैं। वह खाना भी बर्बाद। ऐसे में तर्क सामने आता है, मैंने बिल दिया है। किसी का क्या जा रहा है? मैं कुछ भी करूं।। पर क्या आपको उस बर्बाद हुए खाने की कीमत पता है। नहीं न, तो आज हम आपको बताते हैं उस खाने की कीमत। हम जितना खाना बर्बाद करते हैं न, उतना तो कई बड़े देश पैदा भी नहीं कर पाते। दुनिया के कई देशों की आबादी मिला दें तो उतने लोग डेली भूखे सो जाते हैं। एड्स और अन्य घातक बीमारियों से ज्यादा मौत इस भूख के कारण होती हैं। वही भूख, जो उस खाने से मिट सकती थी, जिसे हम बर्बाद कर देते हैं।

1- यह जानकर कोई भी चौंक जाएगा कि भारत में हर साल जितना अन्न पैदा होता है, उसका करीब 40 परसेंट हम किसी न किसी तरीके से बर्बाद कर देते हैं।

 

2- क्या आपको पता है कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हमारे देश को 88 में 63वां स्थान मिला है। इसके बावजूद हम खाने की बर्बादी को नहीं रोकते। शायद इसलिए कि हमें तो दो वक्त की रोटी आराम से मिल जाती है। खाने की यह बर्बादी न सिर्फ भूख, क्लाइमेट चेंज, पॉल्यूशन का कारण बनती है, बल्कि देश की महंगाई में भी इसका रोल होता है। कभी इस बात पर भी गौर करिएगा।

 

3- संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट की बताती है कि भारत में खाने की इतनी बर्बादी सोचने पर विवश करती हैं, क्योंकि 10 लाख बच्चे पांच साल से कम उम्र के भारत में हर साल भूख या कुपोषण से ही मरते हैं।

 

4- यह भी हैरान करने वाली बात है कि जितना खाना हम बर्बाद करते हैं, उतना खाना पूरे यूनाइटेड किंगडम में कन्ज्यूम किया जाता है।

खाने के साथ बहुत कुछ बर्बाद करते हैं हम

आपको पता है, हमारे देश में लाखों लोगों को साफ पानी तक पीने को मुहैया नहीं है। ऐसे में यह डाटा आपको हैरान कर सकता है कि जितना खाना वेस्ट कर देते हैं उसे पैदा करने में हमारा साफ पानी यूज होता है। यानी हम खाने के साथ-साथ देश का २५त्न पानी भी बर्बाद कर देते हैं। जिससे दस करोड़ लोगों की ह्रश्वयास बुझाई जा सकती है। आपको पता है जितना पानी इस वेस्ट फूड को प्रोड्यूस करने में लगता है, अगर इसे क्यूबिक किलोमीटर में जोड़ें तो यह भारत की एक सामान्य नदी में बहने वाले पानी के बराबर माना जाएगा।

 

आपको पता है कि जितना खाना हम बर्बाद कर देते हैं इस खाद्यान के उत्पादन करने के लिए हमें अपनी धरती का एक बड़ा हिस्सा जंगल विहीन करना पड़ रहा है। दुनिया की लगभग 28 परसेंट भूमि, जिसका क्षेत्रफल 1.4 अरब हेक्टेयर है, ऐसे अन्न को पैदा करने में व्यर्थ होती है।

 

आपको पता है कि हमारे देश में करीब 6.5 करोड़ लोग भुखमरी का शिकार है। यह फ्रांस जैसे देश की जनसंख्या के बराबर है।

 

आप जानते हैं हमारे देश में इम्पोर्ट होने वाले आईटम में तीसरा सबसे बड़ा नाम खाद्य तेल का है। और जितना खाना हम बर्बाद करते हैं उतने को बनाने में करीब 300 बिलियन बैरल तेल लगता है।

 

एक आकलन के मुताबिक अपव्यय के बराबर की धनराशि से 5 करोड़ बच्चों की जिंदगी संवारी जा सकती है।

 

भारत में बरबाद हुए खाने की कीमत ये 40 लाख लोगों को गरीबी के चंगुल से मुक्त किया जा सकता है।

 

ये बात भी सोचने वाली है कि हमारे देश में हर साल उतना गेहूं बर्बाद होता है जितना आस्ट्रेलिया की कुल सालाना पैदावार है।

 

बरबाद हुए भोजन या भोज्य पदार्थ से 5 करोड़ लोगों को आहार सुरक्षा की गारंटी दी जा सकती है।

 

दुनिया भर में हर साल जितना भोजन तैयार होता है उसका एक तिहाई यानी लगभग एक अरब 30 करोड़ टन बर्बाद चला जाता है। बर्बाद जाने वाला भोजन इतना होता है कि उससे 2 अरब लोगों की खाने की जरूरत पूरी हो सकती है। तो हर बार प्लेट में लें सिर्फ उतना, आपको खाना हो जितना।

डेटा सोर्स: वर्ल्ड फूड ऑर्गनाइजेशन, यूएनडीपी और सीएसआर जरनल


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Posted By: Chandramohan Mishra