World Hemophilia Day 2017 : पहचानें हीमोफीलिया और करें बचाव
ये है हीमोफीलिया हीमोफीलिया एक अनुवांशिक बीमारी है। ये माता-पिता से बच्चों को मिलती है। इसके बारे में डॉक्टर्स बताते हैं कि इसका जीन एक्स क्रोमोसोम पर लिंक होता है। अब क्योंकि पुरुषों में लिंग निर्धारण के लिए एक्स वाई क्रोमोसोम होता है और महिलाओ में एक्स-एक्स होता है। ऐसे में एक एक्स क्रोमोसोम होने के कारण पुरूषों में इसका लक्षण दिखाई देने लगता है। महिलाओं में एक्स-एक्स क्रोमोंसोम होने के कारण वे इसकी वाहक बन जाती हैं। पढ़ें इसे भी : 164 साल पहले सवा घंटे में 33.7 Km चली थी भारत की पहली पैसेंजर ट्रेन, ये हैं भारत की सबसे लंबी दूरी वाली पांच रेलगाड़ियांइसलिए ये बीमारी है जानलेवा
डॉक्टर्स इसके बारे में बताते हैं कि इसके शिकार लोगों के शरीर में रक्त का थक्का ही नहीं जमता। यही कई बार पीड़ित की र्मौत का कारण भी बन जाता है। दरअसल अगर कोई इस बीमारी से पीड़ित है और वह किसी दुर्घटना का शिकार हो जाता है तो आसानी से उसका खून बहने से नहीं रोका जा सकता। कारण है कि इस बीमारी के वजह से उसके शरीर से निकलने वाले खून का थक्का नहीं जमेगा। ऐसे में लगातार खून बहने से किसी की भी मौत हो सकती है। इसके अलावा कई बार लीवर, किडनी, मसल्स जैसे इंटरनल अंगों से भी रक्तस्त्राव होने लगता है। दो तरह की हो सकती है हीमोफीलिया
डॉक्टर्स बताते हैं कि ये बीमारी दो तरह की हो सकती है। इन दोनों प्रकारों को ए और बी के नाम से जाना जाता है। एक में फैक्टर-8 की कमी होती है। ये कमी ज्यादा घातक होती है। वहीं बी में फैक्टर-9 की कमी होती है। फैक्टर-8 की कमी या मात्रा के अनुसार बीमारी की तीव्रता निर्धारित होती है। अब इस तरह से देखें तो फैक्टर-8 या 9 का स्तर सिर्फ दो प्रतिशत से कम है तो बीमारी ज्यादा गंभीर मानी जाती है। ये ज्यादा घातक इसलिए होती है क्योंकि इसमें खुद ही रक्तश्राव शुरू हो जाता है। ये मसल्स और जोड़ो पर चकत्ते के रूप में दिखती है। वैसे डॉक्टर्स बताते हैं कि ऐसे बच्चों की बचपन में ही मौत हो जाती है। इसके अलावा ये मात्रा अगर 2 से 8 प्रतिशत के बीच है तो मरीज गंभीर होता है। ऐसे लोगों में थोड़ी सी चोट में भी रक्तश्राव तेजी के साथ होने लगता है। ऐसे में पैर की मांसपेशियों और अन्य अंगों में रक्तश्राव का खतरा होता है। इसके इतर अगर इसकी मात्रा 10 से 50 प्रतिशत के बीच है, तो खुद ही इसमें रक्तश्राव नहीं होता है, लेकिन सर्जरी के समय जान जाने का खतरा बना होता है।
इस बीमारी के इतिहास के बारे में जानना चाहें तो ये सबसे पहले ब्रिटिश राजघराने में देखने को मिली थी। उसके बाद ये बीमारी पेरिस और चाइना जैसे राजघरानों में दिखी। उसके बाद इस बीमारी ने भारत में पांव पसारने शुरू किए। अब आलम ये है कि ये इस देश में भी जबरदस्त तरीके से फैल रही है। इस घातक बीमारी की अति से कुछ ही मिनट में पीड़ित की जान भी जा सकती है।
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