World Heart Day 2024: दिल की बीमारियाँ यूं ही न बढ़ीं 'फराज़' हमने उन्हें देखा और नजर अंदाज़ किया
कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। अगर आज अहमद फराज जिंदा होते तो लिखते, दिल की बीमारियाँ यूं ही न बढ़ीं 'फराज़, हमने उन्हें देखा और नजरअंदाज़ किया.
इक्कीसवीं सदी में तेज़ी से बदलती जीवनशैली और मानसिक तनाव ने स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा दिया है. आज, हृदय रोग और हार्ट अटैक के मामले न केवल बुजुर्गों तक सीमित हैं, बल्कि युवाओं और यहां तक कि बच्चों तक भी पहुंच रहे हैं. ऐसी कई घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं, जहां जिम करते हुए, शादियों में नाचते हुए या फिर दैनिक जीवन के सामान्य कार्यों के दौरान भी लोगों को हार्ट अटैक हुआ है. कोरोना महामारी के बाद से तो हृदय रोगियों की संख्या में और इज़ाफा देखा गया है.
इसी बढ़ते खतरे को ध्यान में रखते हुए कानपुर के हृदय रोग संस्थान के डॉक्टरों ने एक विशेष साल 2024 के शुरूआत में एक 'राम किटÓ तैयार की है, जो इमरजेंसी कंडीशन में हार्ट अटैक के रोगियों की जान बचाने में कारगर साबित हो सकती है. डॉक्टर नीरज कुमार के अनुसार, राम किट में मौजूद दवाइयां हार्ट अटैक की स्थिति में तुरंत राहत प्रदान कर सकती हैं, और ये किट मात्र सात रुपये से कम की कीमत में उपलब्ध है. यह प्रयास न केवल आर्थिक रूप से अच्छा है, बल्कि इसका नाम भी ऐसा है जो लोगों के बीच आसानी से पहचाना जा सके.
कानपुर हृदय रोग संस्थान के डॉक्टरों का कहना है अगर किसी को अचानक हार्ट अटैक आता है, या छाती में दर्द महसूस होता है, तो इस किट में मौजूद दवाइयां तत्काल राहत दे सकती हैं. ये वही दवाइयां हैं जो हार्ट अटैक के मरीज को अस्पताल पहुंचने के बाद सबसे पहले दी जाती हैं. अगर आपके पास ये किट पहले से मौजूद हो, तो इमरजेंसी के समय यह बहुत काम आ सकती है और रोगी की जान बचा सकती है. किट में शामिल दवाइयों का इस्तेमाल कैसे करें?
आमतौर पर हार्ट अटैक की स्थिति में मरीज को अस्पताल पहुंचने में 30-40 मिनट का समय लग जाता है, जो कि सबसे जरूरी समय होता है. इस दौरान किट में मौजूद दवाइयां मरीज के लक्षणों को ठीक करने में मदद कर सकती हैं.
हार्ट अटैक के लक्षण दिखने पर:
1. दो इकोस्प्रिन टेबलेट लें, यह खून में थक्के बनने से रोकती है.
2. एक रोसुवास्टेटिन स्टेटिन लें, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करती है.
3. सॉब्रिट्रेट की टेबलेट जीभ के नीचे रखकर चूसें, यह नसों की ब्लॉकेज को कम करके खून का संचार ठीक करने में मदद करती है.
डॉक्टर्स बताते हैं कि किट का नाम 'राम किट' रखने का एक खास उद्देश्य है. एक तो राम नाम को हर संकट से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है, और दूसरा, इस नाम को आसानी से याद रखा जा सकता है. इससे कम पढ़े-लिखे लोग भी इसे आसानी से समझ सकते हैं और इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. बढ़ते हार्ट अटैक के मामलों में राम किट बनी जीवनरक्षक
हाल के दिनों में जिम करते समय या शादियों में नाचते-गाते लोगों के हार्ट अटैक से मरने की खबरें भी सामने आई हैं. ऐसे में यह किट इमरजेंसी में हार्ट अटैक के मरीज की जान बचाने में मददगार हो सकती है. खास बात यह है कि किट में शामिल दवाइयों की कीमत भी बहुत कम, यानी सात रुपये से कम है.
कोविड के बाद क्यों बढ़े हैं हार्ट अटैक के मामले
रिसचर्स का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद से हार्ट अटैक के मामलों में काफी वृद्धि हुई है. महामारी के दौरान फिजिकल एक्टिविटीज में कमी, मानसिक तनाव, और स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच ने इन मामलों को बढ़ावा दिया है. ऐसे में हर व्यक्ति को अपने दिल से जुड़े जोखिम कारकों को समझना और सावधान रहना बेहद जरूरी है.
यदि हार्ट अटैक के लक्षण जैसे सीने में दर्द, कंधे, बांह, पीठ या गर्दन में दर्द, ठंडा पसीना, या सांस लेने में तकलीफ नजर आए, तो मरीज की जान बचाने के लिए सीपीआर (सीपीआर) तकनीक का भी उपयोग किया जा सकता है. सीपीआर के तहत, रोगी की छाती को एक मिनट में 100 से 120 बार तेजी से पुश किया जाता है. इससे रक्त का फ्लो फिर से शुरू होता है और रोगी की जान बचाई जा सकती है.