World Day Against Child Labour : दुनिया में 15 करोड़ बाल श्रमिक, बच्चों का काम न करना आज भी है सपना
कानपुर। हर वर्ष की तरह इस साल भी 12 जून को बाल मजदूरी को खत्म करने के इरादे से दुनिया भर में वर्ल्ड डे अंगेस्ट चाइल्ड लेबर यानी विश्व बालश्रम विरोधी दिवस मनाया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने इस दिन की शुरुआत 2002 में की थी। इसका उद्देश्य दुनिया भर में बाल श्रम को खत्म करना था। इस साल की थीम 'बच्चों को काम नहीं करना चाहिए, लेकिन सपने में' रखी गई है। संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, ऐसा थीम इसलिए रखा गया है क्योंकि आज भी करीब 15 करोड़ बच्चे मजबूरन बाल मजदूरी के शिकार हैं। इनमें भी ज्यादातर बच्चे बहुत ही खराब स्थिति में काम कर रहे हैं। वैसे तो हर क्षेत्र में बाल मजदूरी होती है लेकिन रिपोर्ट का यह कहना है कि आज 10 में सात बच्चा खेतों में काम करता है।
आईएलओ ने निर्धारित किये हैं लक्ष्य
बता दें कि इस साल यानी कि 2019 में आईएलओ अपनी 100वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस मौके पर उसने कुछ नए लक्ष्य निर्धारित किये हैं, जो सामाजिक न्याय को बढ़ाने का काम करेगा। आईएलओ का मेन विजन इसपर है कि बच्चे काम नहीं करें, बल्कि वे सपने देखें। बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में यह एक अच्छा कदम है लेकिन बच्चे सपने तभी देख पाएंगे, जब वे अच्छे से रह पाएंगे। खैर, अच्छी बात यह है कि इस बारे में गंभीरता से अब सोचा जाने लगा है। संयुक्त राष्ट्र ने इस विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस पर दुनिया भर के समुदाय को आह्वान किया है कि वह सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी) को बड़े स्तर पर पहुंचाएं, ताकि दुनिया को बेहतर बनाया जा सके। इस टारगेट को हासिल करने के लिए विश्व समुदाय को समाज के सबसे दबे-कुचले वर्गों, सामाजिक अन्याय से पीडि़त लोगों और आर्थिक विषमता से जूझ रहे तबकों पर खास तरह से ध्यान देना होगा। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बाल श्रमिकों की समस्या है।