अब क्या होगा सोनिया गांधी का?
इसमें वरिष्ठ नेता इस्तीफ़े की पेशकश कर सकते हैं. लेकिन क्या इसमें पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी का भी नाम शामिल होगा?शायद ऐसा हो, लेकिन अगर उन्होंने इस्तीफा दिया तो उनकी जगह कौन लेगा और संसद में पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा?इस चुनाव और चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को मतदाताओं की असली पसंद नहीं बनाया है.भाजपा से मिली हारअगर सोनिया गांधी नेहरू-गांधी परिवार की नहीं होतीं तो, या तो वह इस्तीफा दे देतीं या तो कांग्रेस नेता चुनाव में कांग्रेस को भाजपा के हाथों मिली इस पराजय के बाद उनके ख़ून के प्यासे हो गए होते."चुनाव में पार्टी की हार स्वीकार करने के अलावा सोनिया गांधी ने भविष्य के लिए अभी ख़ुद कोई संकेत नहीं दिया है."
इसलिए यह सोनिया गांधी की राजनीतिक श्रद्धांजलि नहीं है. इतना ही नहीं, इस हार के बाद भी पार्टी में उनकी मांग बनी हुई है. कांग्रेस के भीतर परिवारवाद अब भी बना हुआ है.
हो सकता है कि जब उन्होंने 1998 में पार्टी की कमान संभाली थी, उस समय के मुकाबले आज उनकी जरूरत ज्यादा हो. लेकिन चुनाव में मिली शर्मनाक हार ने उनके राजनीतिक भविष्य को सुर्खियों में ला दिया है. आज कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मन में एक ही सवाल उमड़ रहा है, वो ये कि सबसे अधिक समय तक पार्टी की अध्यक्ष और पार्टी के इतिहास में अब तक के सबसे ख़राब प्रदर्शन के समय पार्टी की अध्यक्ष के लिए अब आगे क्या होगा.चुनाव में पार्टी की हार स्वीकार करने के अलावा सोनिया गांधी ने भविष्य के लिए अभी ख़ुद कोई संकेत नहीं दिया है. भाजपा और भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्साही समर्थक चुनाव में 44 सीटें जीतने वाली कांग्रेस के न केवल ख़राब भविष्य की कल्पना कर रहे हैं बल्कि उनका यह भी कहना है कि इसके साथ नेहरू-गांधी परिवार युग भी खत्म हो गया है.लेकिन कांग्रेस के ख़ात्मे की बात करना या पार्टी पर इस परिवार की मज़बूत पकड़ के कमजोर पड़ने की बात कहना राजनीतिक भोलापन होगा. ऐसा नहीं लगता कि पार्टी के इस पहले परिवार की प्रतिष्ठा को पार्टी के भीतर कम करके आंका गया है.राहुल गांधी का असर
लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद सोनिया गांधी पर पद छोड़ने की जगह उन्हें अध्यक्ष बने रहने का दबाव डाला जा सकता है. उन्हें अपने बेटे का हाथ तब तक थामे रहना होगा, जब तक वो उनसे ज़िम्मेदारी लेने लायक न हो जाएं. लेकिन 66 साल की हो चुकी सोनिया गांधी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है. किसी बीमारी का इलाज कराने के लिए वो अमरीका गई थीं.उनकी बीमारी क्या है, यह अभी भी रहस्य बना हुआ है. ख़राब स्वास्थ्य ही उनके पद छोड़ने का बड़ा कारण हो सकता है. लेकिन अगर उनका स्वास्थ्य इजाजत दे तो पार्टी में कई लोग ऐसे हैं, जो यह चाहते हैं कि वो अध्यक्ष बनीं रहें.हालांकि एक विचार यह भी आ रहा है कि अब सोनिया गांधी भी पार्टी की किस्मत नहीं सुधार सकती हैं. कुछ विश्लेषकों का कहना है कि अगर उनकी बेटी को उतारा जाता है तो पार्टी के पुनरुद्धार की थोड़ी-बहुत संभावना है.कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में जो भी नतीजा निकले . लेकिन नेतृत्व का मुद्दा, एक ऐसा मुद्दा है जिस पर पार्टी के पुनिर्माण के लिए ध्यान देने की जरूरत है.