कतर: 'दो साल में 500 से ज़्यादा भारतीयों की मौत'
क़तर स्थित भारतीय दूतावास ने इस आंकड़े की पुष्टि की है लेकिन मौत की परिस्थितियों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी.क़तर के श्रम मंत्री ने कहा कि मौत के इन मामलों में प्राकृतिक मौतों के अलावा, सड़क दुर्घटना और कार्यस्थल पर हुई दुर्घटनाओं में मौतों के मामले भी हो सकते हैं.माना जाता है कि इनमें अधिकतर मौतें साल 2022 में होने वाले फ़ुटबॉल विश्व कप से जुड़ी निर्माण परियोजनाओं में हुई हैं.इस माह की शुरुआत में रिपोर्ट आई थी कि पिछले एक साल के दौरान काम से संबंधित दुर्घटनाओं में 185 नेपाली नागरिक मारे गए हैं.एक हफ़्ते पहले साल 2022 के फ़ुटबॉल विश्व कप के आयोजकों ने फ़ीफा की मांग पर कामगारों के अधिकारों से संबंधित नया चार्टर जारी किया था. क़तर से मांग की गई है कि वो अपने यहां काम की परिस्थितियों में सुधार करे.'मौतें सामान्य'
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार क़तर की राष्ट्रीय मानवाधिकार समिति के अधिकारी अली बिन सुमैख अल- मारी ने मंगलवार को कहा कि जितनी अधिक संख्या में क़तर में भारतीय प्रवासी कामगार रहते हैं, उसके हिसाब से 450 लोगों की मौत सामान्य बात है.
क़तर में भारतीय सबसे बड़ी संख्या में रहने वाले समुदाय हैं. क़तर में पांच लाख प्रवासी भारतीय रहते हैं और यह संख्या क़तर के निवासियों की तुलना में दोगुना है.भारतीय दूतावास के आंकड़ों के अनुसार क़तर में औसतन एक माह में 20 प्रवासियों की मौत होती है. 2012 में 237 और 2013 में 218 लोगों की मौत हुई हैं.मारी ने एफपी से कहा कि उन्होंने मौत की परिस्थितियों पर स्पष्टीकरण की मांग की है और जोर दिया है कि "क़तर के ख़िलाफ़ अभियान" जैसी मुहिम शुरू हो सकती है.दूतावास ने मौत की परिस्थितियों के बारे में कोई विवरण नहीं दिया है लेकिन इंटरनेशनल ट्रेड यूनियन परिसंघ ने कहा है कि आंकड़े दिखाते हैं कि यह "असाधारण उच्च मृत्यु दर" है.नए स्टेडियमों और फुटबॉल की सबसे बड़ी टूर्नामेंट से संबंधित विशाल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर काम कर रहे मजदूरों में से अधिकांश दक्षिण एशिया से हैं .क़तर ने इस महीने हजारों प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने के उद्देश्य से दिशा निर्देश जारी किए हैं.